बांस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सलाहकार समूह का गठन 

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बांस (Bamboo) क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विकासात्मक योजनाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए एक सलाहकार समूह के गठन को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

अनेक हितधारक इस सलाहकार समूह का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिनमें शिक्षाविद, शोधकर्ता, नवप्रवर्तक, प्रगतिशील उद्यमी, डिजाइनर, किसान नेता, विपणन विशेषज्ञ एवं नीति निर्माता इत्यादि शामिल हैं।

बांस- घास है

बांस में 1200 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं, जो आमतौर पर वुडी, बारहमासी पौधों की घास परिवार पोएसी (Poaceae) से संबंधित हैं, जो मुख्य रूप से एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में होती प्राप्त होती हैं।

निर्माण क्षेत्र में डिजाइन और संरचनात्मक तत्व के रूप में उपयोग करने के अलावा, बांस की क्षमता बहुआयामी है।

बांस से बने पर्यावरण के अनुकूल ढाले जा सकने वाले दाने प्लास्टिक के उपयोग का स्थान ले सकते हैं

बांस अपनी तेज पैदावार व विकास दर और प्रचुरता के कारण इथेनॉल तथा जैव-ऊर्जा उत्पादन के लिए एक विश्वसनीय स्रोत है।

बांस आधारित जीवन शैली उत्पादों, कटलरी, घरेलू सजावट, हस्तशिल्प और सौंदर्य प्रसाधनों का बाजार भी विकास के पथ पर है।

सरकारी प्रयास

केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission: NBM) को 2018-19 के दौरान प्रारंभ किया गया था। यह मिशन प्रमुख तौर पर रोपण सामग्री, वृक्षारोपण, संग्रह के लिए सुविधाओं का निर्माण, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण, विपणन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, कुशल श्रमशक्ति और ब्रांड निर्माण पहल के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर उत्पादकों को उपभोक्ताओं के साथ जोड़ने के लिए बांस क्षेत्र की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के विकास पर क्लस्टर दृष्टिकोण मोड पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अगरबत्ती की आयात नीति में संशोधन किया है और इसे “मुक्त” व्यापार से “सीमित” व्यापार में रखा है, जिससे कच्चे अगरबत्ती के आयात को प्रतिबंधित करने और अगरबत्ती के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु (केम्पागौड़ा) हवाई अड्डे के नए टर्मिनल का उद्घाटन किया, जिसमें एक वास्तुशिल्प तथा संरचनात्मक सामग्री के रूप में बांस की बहुमुखी उपयोग साबित हुई है और इस हरित संसाधन की सम्पदा को ‘हरित इस्पात’ (green steel) के रूप में परिभाषित किया गया है।

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