“प्री-वेट” (pre-vet) के लिए प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव
भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने 19 मार्च को विवाद और मुकदमेबाजी को रोकने के लिए उच्च-सौदे वाले वाणिज्यिक और निवेश समझौतों को “प्री-वेट” (pre-vet) करने के लिए एक विशेष प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव किया है।
- मुख्य न्यायाधीश ने दुबई में “वैश्वीकरण के युग में विवाचन” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (international conference on “arbitration in the era of globalisation”) में बोलते हुए ‘प्री-वेट’ प्राधिकरण का प्रस्ताव रखा।
- उन्होंने कहा कि ऐसे कितने समले सामने आये हैं जिसमें विवादित पक्ष और सरकारें अपने समझौतों को इसके क्रियान्वयन के समय आसानी से अस्वीकार कर देती हैं, या तो यह कहते हुए कि यह विधि शून्य था या सार्वजनिक नीति या कानून के खिलाफ था।
- ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, कुछ तंत्र विकसित करने का समय आ गया है। ऐसा ही एक तंत्र सरकार द्वारा विशेष रूप से गठित “प्री-वेट” (pre-vet) यानी पूर्व-निरीक्षण प्राधिकरण हो सकता है।
- “प्री-वेट” किसी व्यक्ति या किसी चीज़ की सावधानीपूर्वक जाँच करने की वकालत करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे स्वीकार्य हैं या किसी विशेष कार्य या उपयोग के लिए उपयुक्त हैं।
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