पवित्र काली बेईं नदी सिखों के लिए क्या महत्व रखता है?

Image credit: (Twitter/@AAPPunjab)

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को सुल्तानपुर लोधी की पवित्र काली बेईं नदी (Kali Bein) का पानी पीने के दो दिन बाद दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद यह नदी चर्चा में थी हालांकि यह नदी सिख धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है।

165 किलोमीटर लंबी काली बेईं नदी (Kali Bein) होशियारपुर से शुरू होती है और चार जिलों से गुजरती हुई कपूरथला में ब्यास और सतलुज नदियों के संगम से मिलती है। इसके किनारे लगभग 80 गाँव और छह कस्बे हैं और यहाँ से अपशिष्ट जल नाले में बह जाता है।

काली बेईं का अर्थ है काली धारा और इसके पानी में काले खनिजों के कारण इसका नाम पड़ा। हालांकि, एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों के साथ-साथ औद्योगिक कचरे का अपशिष्ट जल नाले के माध्यम से इस नदी में प्रवाहित होता था, जिससे इसका पानी काला हो जाता था, इसलिए इसका नाम काली बेईं (काली नाला) पड़ा।

बेईं संस्कृत शब्द वेणी (धारा) का पंजाबी नाम है।

सिख परंपरा के अनुसार, काली बेईं वह जगह है जहां गुरु नानक को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

जब गुरु नानक देव अपनी बहन बेबे नानकी के साथ सुल्तानपुर लोधी में रह रहे थे, तो वे काली बेईं में स्नान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन वह पानी में गायब हो गए और तीसरे दिन बाहर आये।

हाल के वर्षों में काली बेईं का पानी प्रदूषित हो गया था, जिसमें सारा सीवेज और औद्योगिक कचरा बह रहा था। उसके चारों ओर घास और घना खरपतवार उग आया था।

वर्ष 2000 में पर्यावरणविद् बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल ने कुछ अनुयायियों की मदद से काली बेईं की सफाई शुरू की। काली बेईं की सफाई भारत में जन आंदोलन के पहले उदाहरणों में से एक थी, जहां एक नदी को पुनर्जीवित किया गया था और इसलिए इसका उत्सव हर साल मनाया जाता है।

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