ट्विटर ने भारत सरकार के आदेशों को न्यायालय में चुनौती दी है
ट्विटर ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर पोस्ट की गई कुछ कंटेंट को हटाने का आदेश देने वाली भारत सरकार के आदेशों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है।
मुख्य तथ्य
सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने अधिकारियों पर अधिकार के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (A) के तहत सूचना प्रौद्योगकी मंत्रालय द्वारा कंटेंट को ब्लॉक करने आदेशों के खिलाफ 5 जुलाई को कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया है।
आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को लिखा था कि 4 जुलाई तक उसके आदेशों का पालन करने का समय है अन्यथा इंटरमीडियरी नियमों के तहत प्राप्त सुरक्षा वह खो सकता है।
IT अधिनियम, 2000 की धारा 69 (A) केंद्र को सोशल मीडिया इंटरमीडियरी (मध्यवर्तियों) को “भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, देश की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या उपरोक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने के लिए उकसाने से रोकने के लिए कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश जारी करने की अनुमति देती है।
इन ब्लॉकिंग आदेशों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुसार, सरकार द्वारा किए गए किसी भी अनुरोध को एक समीक्षा समिति को भेजा जाता है, जो इन निर्देशों को जारी करती है।
IT अधिनियम की धारा 69 (A) के तहत जारी कंटेंट ब्लॉकिंग आदेश आमतौर पर गोपनीय प्रकृति के होते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों को अनिवार्य रूप से शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा और आपत्तिजनक सूचनाओं के मूल स्रोत का खुलासा करना होगा और 36 घंटे के भीतर इसे हटाना होगा।
नियमों में कहा गया है कि महिलाओं की नग्नता या मॉर्फ्ड तस्वीरों को दर्शाने वाली सामग्री को 24 घंटे के भीतर हटाने की जरूरत है।
ये नियम सोशल मीडिया मध्यवर्ती और महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती के बीच अंतर करते हैं।
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