जेनेटिक मॉडुलेशन और OsDREB1C

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चीन की चावल की एक किस्म को उसके अपने जीन की दूसरी प्रति देकर, शोधकर्ताओं ने इसकी उपज में 40% तक की वृद्धि की है। इस परिवर्तन से पौधे को अधिक उर्वरक अवशोषित करने में मदद मिलती है, प्रकाश संश्लेषण को बढ़ावा मिलता है, और पुष्प आने में तेजी आती है। इस तरह अधिक उपज प्राप्त होती है।

जब चावल में एकल जीन (जिसे OsDREB1C कहा जाता है) की दूसरी प्रति (copy) डाली जाती है, तो यह प्रकाश संश्लेषण और नाइट्रोजन के उपयोग में सुधार करता है, पुष्प आने की गति बढ़ाता है और नाइट्रोजन को अधिक कुशलता से अवशोषित करता है।

भारत चावल का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। इसने वर्ष 2021-22 के दौरान 150 से अधिक देशों को 18.75 मिलियन मीट्रिक टन निर्यात किया, जिससे 6.11 बिलियन डॉलर की कमाई हुई। यह कुछ साल पहले की तुलना में बहुत बड़ा सुधार है।

दूसरी ओर वियतनाम चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया, और उसने 2021-2022 में 6.5 मिलियन टन का उत्पादन किया।

भारत को दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक और निर्यातक के रूप में अपने योगदान को जारी रखने और इसमें विस्तार करने के लिए इसे 18.75 मिलियन टन से अधिक का उत्पादन करना होगा । ऐसे में उपर्युक्त शोध बड़ी भूमिका निभा सकती है।

नए शोध की बड़ी बात यह है कि शोधकर्ताओं ने चावल की इस किस्म में किसी अन्य जीन को नहीं वरन उसी के जीन को फिर से जोड़ा है।

यह जेनेटिक मॉडुलेशन (Gene modulation) का एक अच्छा उदाहरण है। अर्थात यह एक आनुवंशिक संशोधन ( genetic modification: GM) नहीं है और न ही एक ट्रांसजेनिक पौधा (transgenic plant) है, अर्थात किसी अन्य किस्म से जीन नहीं प्राप्त करता है।

जेनेटिक मॉडुलेशन (Gene modulation) अंतर्निहित सेलुलर डीएनए में आनुवंशिक परिवर्तन किए बिना अस्थायी रूप से जीन एक्सप्रेशन के स्तर को बदलने की प्रक्रिया है।

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