गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को राज्य अधिनियमों द्वारा विनियमित नहीं किया जा सकता-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को निर्णय दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies: NBFCs) को राज्य द्वारा बनाये गए अधिनियमों द्वारा विनियमित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस हेमंत गुप्ता और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि NBFCs देश की वित्तीय स्थिति में योगदान देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनका संचालन आरबीआई द्वारा नियंत्रित होते हैं।
- शीर्ष अदालत इस सवाल की जांच कर रही थी कि क्या RBI द्वारा विनियमित NBFC को केरल मनी लेंडर्स एक्ट, 1958 और गुजरात मनी लेंडर्स एक्ट, 2011 जैसे राज्य कानूनों द्वारा भी विनियमित किया जा सकता है।
- न्यायालय ने कहा कि एक बार जब तय हो जाता है कि आरबीआई अधिनियम (RESERVE BANK OF INDIA ACT, 1934) का अध्याय III-B NBFC के आरम्भ होने के समय से (पंजीकरण के माध्यम से) उसकी व्यावसायिक समाप्ति के समय तक (समापन के माध्यम से) NBFC के कामकाज की निगरानी के लिए आरबीआई एक पर्यवेक्षी भूमिका प्रदान करता है, तब NBFC की सभी गतिविधियां स्वतः RBI की जांच के दायरे में आती हैं।
- इसका मतलब यह होगा कि NBFC विनियमन केवल आरबीआई अधिनियम के तहत है, और केवल केंद्रीय बैंक के पास इसके साथ पंजीकृत एनबीएफसी को विनियमित करने की शक्तियां हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि RBI अधिनियम की धारा 45-45-Q, अध्याय III-बी और उसके अन्य कानूनों पर प्राथमिकता प्राप्त करता है। इसलिए गुजरात और केरल राज्य यह तर्क नहीं दे सकते कि उनके द्वारा बनाए गए कानून अध्याय III-बी के प्रावधानों के अतिरिक्त हैं।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Companies: NBFC )
- एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Companies: NBFC ) कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है जो ऋण और एडवांस के कारोबार में लगी हुई है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA के अनुसार, कोई भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना और 25 लाख रुपये का फंड (अप्रैल 1999 से दो करोड़ रुपये) नेट स्वामित्व के बिना गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान का व्यवसाय शुरू नहीं कर सकती है ।
- यह सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या अन्य विपणन योग्य प्रतिभूतियों द्वारा जारी शेयरों / स्टॉक / बांड / डिबेंचर / प्रतिभूतियों को खरीद सकती हैं या किराया-खरीद, बीमा व्यवसाय, चिट व्यवसाय में संलग्न हैं।
- लेकिन इसमें ऐसी कंपनियों को शामिल नहीं किया जाता जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि गतिविधि, औद्योगिक गतिविधि, किसी भी सामान की खरीद या बिक्री (प्रतिभूतियों के अलावा) या कोई सेवा प्रदान करती है और अचल संपत्ति की खरीद /बिक्री करती है ।
NBFC उधार देते हैं और निवेश करते हैं और इसलिए उनकी गतिविधियां बैंकों के समान होती हैं; हालांकि बैंकों से ये निम्न रूप में अलग हैं:
- i. एनबीएफसी मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकता;
- ii. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं बनती हैं और वे स्वयं पर आहरित चेक जारी नहीं कर सकती हैं;
- iii. जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम की जमा बीमा (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) सुविधा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जमाकर्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं है, जैसा कि बैंकों के मामले में होता है।
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