गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर सहकारिताओं की ऑनबोर्डिंग

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने 9 अगस्त को नई दिल्ली में गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर सहकारिताओं की ऑनबोर्डिंग को ई-लॉन्च किया। शरुआत में 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर/जमा राशि वाली सहकारी समितियों की ऑनबोर्डिंग की जा रही है।

केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों/मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), इत्‍यादि को पारदर्शी और व्‍यवस्थित तरीके से सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं हेतु एक संपूर्ण ऑनलाइन मार्केटप्लेस प्रदान करने के लिए GeM को राष्ट्रीय खरीद पोर्टल के रूप में स्थापित किया गया है।

अभी तक GeM को इस प्लेटफॉर्म पर खरीदारों के रूप में सहकारी समितियों के पंजीकरण के लिए सक्षम नहीं किया गया था।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जून 2022 को जेम के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए सहकारी समितियों को अनुमति देने के लिए जेम का दायरा बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। सहकारी समितियों को न केवल एक खुली और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिस्पर्धी मूल्य मिलेंगे, बल्कि वे एकल प्‍लेटफॉर्म पर देश भर में उपलब्ध लगभग 45 लाख प्रमाणित विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं से भी खरीद सकती हैं।

गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM)

सरकारी खरीददारों के लिए एक खुला और पारदर्शी खरीद प्लेटफार्म बनाने के क्रम में, भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा 9 अगस्त, 2016 को गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM) लॉन्च किया गया था।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM SPV) के नाम से एक विशेष प्रयोजन कंपनी (SPV) को राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल के रूप में 17 मई, 2017 को स्थापित किया गया था, जिसका अनुमोदन केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 12 अप्रैल, 2017 को किया गया था।

वर्तमान में, प्लेटफ़ॉर्म सभी सरकारी खरीददारों द्वारा की जाने वाली खरीद के लिए खुला है: केंद्रीय और राज्य मंत्रालय, विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, स्वायत्त संस्थान, स्थानीय निकाय, आदि।

मौजूदा मैंडेट के अनुसार, GeM निजी क्षेत्र के खरीददारों के उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है।

आपूर्तिकर्ता (विक्रेता) सभी वर्गों से हो सकते हैं: सरकारी या निजी।

सहकारिता पर संवैधानिक प्रावधान

जबकि अनुच्छेद 19(1)(c) कुछ प्रतिबंधों के अधीन सहकारी समितियों गठन की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, अनुच्छेद 43-B कहता है कि राज्य सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कामकाज, लोकतांत्रिक नियंत्रण और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे

कृषि और सहकारिता राज्य सूची में हैं, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकारें उन पर शासन कर सकती हैं। सहकारी समितियां” भारत के संविधान में राज्य सूची की प्रविष्टि 32 के माध्यम से 7वीं अनुसूची में राज्य का विषय है।

वर्ष 2002 में, केंद्र ने एक मल्टी-स्टेट सहकारी समिति अधिनियम पारित किया जिसने एक से अधिक राज्यों में संचालन वाली समितियों के पंजीकरण की अनुमति दी। ये ज्यादातर बैंक, डेयरियां और चीनी मिलें हैं जिनका संचालन क्षेत्र राज्यों में फैला हुआ है। सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज उनका कंट्रोलिंग अथॉरिटी है, लेकिन जमीन पर स्टेट रजिस्ट्रार उनकी ओर से कार्रवाई करता है।

97वां संविधान संशोधन, जो देश में सहकारी समितियों के प्रभावी प्रबंधन से संबंधित मुद्दों से संबंधित है, संसद द्वारा दिसंबर 2011 में पारित किया गया था और यह 15 फरवरी, 2012 से लागू हुआ था।

संविधान में परिवर्तन ने सहकारिता को संरक्षण देने के लिए अनुच्छेद 19(1)(c) में संशोधन किया है और उनसे संबंधित अनुच्छेद 43 B और भाग IX B को सम्मिलित किया है। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सहकारी समितियों से संबंधित संविधान के भाग IX B को रद्द कर दिया।

अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 243ZI जो भाग IXB का हिस्सा है और 97 वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया है, यह स्पष्ट करता है कि सहकारी समिति के निगमन, विनियमन और समापन पर राज्य कानून बना सकता है।

अदालत ने, हालांकि, बहु-राज्य सहकारी समितियों पर केंद्र के अधिकार क्षेत्र सहित संशोधन के अन्य हिस्सों को सही ठहराया और कहा कि यदि केंद्र सहकारी समितियों के नियमन की एकरूपता हासिल करना चाहता है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 252 के तहत करे जो राज्य सूची के किसी विषय पर दो से अधिक राज्यों के बीच सहमति होने पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है।

केंद्र सरकार ने ‘सहकार से समृद्धि’ के स्वप्न को साकार करने के लिए एक अलग ‘सहकारिता मंत्रालय’ (Ministry of Co-operation) का गठन किया है। श्री अमित शाह को प्रथम सहकारिता मंत्री नियुक्त किया गया है।

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