क्या है ‘पुरी विरासत गलियारा परियोजना’ विवाद?
ओडिशा सरकार की महत्वाकांक्षी पुरी विरासत गलियारा परियोजना (Puri heritage corridor project) विवादों में आ गई है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) द्वारा उड़ीसा उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे ने परियोजना के आसपास बहस को और तेज कर दिया है। वर्ष 2016 में कल्पना की गई, जगन्नाथ मंदिर की पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना का अनावरण दिसंबर 2019 में किया गया था ताकि शहर को एक अंतरराष्ट्रीय विरासत स्थल ( international place of heritage) में बदल दिया जा सके।
क्या है पुरी विरासत गलियारा परियोजना विवाद?
- कुल 22 विभिन्न परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। पुरी में राज्य सरकार की बुनियादी सुविधाओं के संवर्धन और विरासत और वास्तुकला के विकास (Augmentation of Basic Amenities and Development of Heritage and Architecture: ABADHA) योजना की 800 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि के बाद, पहले चरण में 265 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
- 12वीं सदी का पुरी मंदिर एक केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारक है, जिसका संरक्षक Archaeological Survey of India है।
- प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (संशोधन और सत्यापन) अधिनियम, 2010 (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains (Amendment and validation) Act: AMSAR) के तहत निर्धारित नियमों के अनुसार, ऐसे स्मारक की परिधि के आसपास 100 मीटर के भीतर निर्माण गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।
- निर्माण केवल राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority: NMA) की स्वीकृति के साथ किया जा सकता है।
- NMA, जोकि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत एक संस्था है, AMSAR अधिनियम के प्रावधानों के तहत केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के आसपास निषिद्ध और विनियमित क्षेत्र के प्रबंधन के माध्यम से स्मारकों और साइटों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था।
- NMA की इन जिम्मेदारियों में से एक निषिद्ध और विनियमित क्षेत्र में निर्माण संबंधी गतिविधि के लिए आवेदकों को अनुमति देने पर विचार करना भी है।
- NMA दिशानिर्देश बताते हैं कि 5,000 वर्ग मीटर से अधिक के निर्मित क्षेत्र के साथ पुरातात्विक महत्व के किसी भी स्मारक के आसपास विकास कार्य के लिए विरासत प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन जरूरी है।
- जगन्नाथ मंदिर 43,301.36 वर्ग मीटर में फैला है। हेरिटेज प्रोजेक्ट के लिए NMA ने 4 सितंबर, 2021 को राज्य सरकार को एक क्लोकरूम, एक शेल्टर पवेलियन, तीन शौचालय, एक इलेक्ट्रिकल रूम और प्रतिबंधित 75-मीटर क्षेत्र के भीतर एक फुटपाथ के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किया था।
- NMA द्वारा जारी NOC इस तथ्य के संबंध में है कि सार्वजनिक सुविधाएं AMSAR अधिनियम के अनुसार निर्माण की परिभाषा के तहत नहीं आती हैं और NMA को कोई आपत्ति नहीं है यदि परियोजना Archaeological Survey of India की देखरेख में की जाती है।
- हालांकि Archaeological Survey of India की ओर से ऐसी कोई एनओसी जारी नहीं की गई है।
श्री जगन्नाथ मन्दिर पुरी की विशेषताएं और आश्चर्य
- ओडिशा में पुरी का श्री जगन्नाथ मन्दिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। इस मन्दिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है।
- इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। श्री जगन्नथपुरी पहले नील माघव के नाम से पुजे जाते थे।
- गंग वंश के ताम्र पत्रों से ज्ञात होता है, कि वर्तमान मन्दिर के निर्माण कार्य को कलिंग राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने आरम्भ कराया था। मन्दिर के जगमोहन और विमान भाग इनके शासन काल में बने थे। फिर सन 1197 में जाकर ओडिआ शासक अनंग भीम देव ने इस मन्दिर को वर्तमान रूप दिया था।
- मंदिर के शिखर पर चक्र और ध्वज स्थित है। चक्र सुदर्शन चक्र का प्रतीक है और लाल ध्वज भगवान जगन्नाथ इस मंदिर के भीतर हैं, इस का प्रतीक है।
- मंदिर के ऊपर का ध्वज अजीब तरह से हमेशा हवा के विपरीत दिशा में फहराता है।
- सुदर्शन चक्र वास्तव में 20 फीट ऊंचा है और इसका वजन एक टन है। इसे मंदिर के शीर्ष पर लगाया गया है। लेकिन इस चक्र की सबसे दिलचस्प बात यह है कि आप इस चक्र को पुरी शहर के किसी भी कोने से देख सकते हैं।
- मंदिर की संरचना ऐसी है कि दिन के किसी भी समय मंदिर की कोई छाया नहीं दिखती है।
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