रेस्तरां द्वारा ग्राहकों से वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज पर विवाद
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि रेस्तरां (restaurants) उपभोक्ताओं से अपने आप सेवा शुल्क (service charge) वसूल ले रहे हैं, जबकि इस तरह का कोई भी शुल्क लेना स्वैच्छिक है और उपभोक्ताओं के विवेक पर निर्भर है। यह कानून के अनुसार अनिवार्य नहीं है।
रेस्त्रां बिल में क्या शामिल होता है?
- भारत में एक रेस्तरां बिल में भोजन शुल्क (मेनू से), सेवा शुल्क (5 से 15 प्रतिशत के बीच कहीं भी) और इस राशि पर 5 प्रतिशत GST (IGST + SGST) शामिल है। यह सभी प्रकार के स्टैंडअलोन रेस्तरां के लिए है।
- यदि एक रेस्तरां एक होटल के अंदर स्थित है, जिसमें कमरे की दर 7,500 रुपये (ज्यादातर फाइव स्टार होटल) से ऊपर है, तो GST 18 प्रतिशत होगा।
- कानून के अनुसार GST एक अनिवार्य घटक है।
- विवाद सेवा शुल्क को लेकर है जिसे वैकल्पिक माना जाता है। यह दुनिया भर में ग्रेच्युटी के रूप में जाना जाता है, या आम बोलचाल में टिप के बराबर है।
- अधिकांश रेस्तरां सेवा शुल्क स्वयं तय करते हैं, और इसे मेनू के निचले भाग में तारांकन चिह्न के साथ प्रिंट करते हैं। यह वह घटक है जो समय-समय पर विवादों में रहा है।
- उपभोक्ताओं का तर्क है कि वे इसका भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं हैं। जबकि रेस्ट्रा वालों का कहना है कि वे पहले ही इसका उल्लेख कर देते हैं इसलिए उपभोक्ता पर निर्भर करता है कि वे भोजन करना चाहे या नहीं।
- दूसरी ओर मंत्रालय का कहना है कि होटल और रेस्तरां ग्राहकों से “सेवा शुल्क के नाम पर उनकी सहमति के बिना” शुल्क वसूलना अनुचित व्यापार व्यवहार (unfair trade practice) के बराबर है।
- मंत्रालय ने 2017 में प्रकाशित अपने दिशानिर्देशों के आधार पर कहा कि एक रेस्तरां में ग्राहक के प्रवेश को सेवा शुल्क का भुगतान करने की सहमति के रूप में नहीं माना जा सकता है। सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर करने के माध्यम से किसी उपभोक्ता के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध लगाना, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत “प्रतिबंधात्मक व्यापार अभ्यास” (restrictive trade practice) के समान है।
- दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि एक ग्राहक द्वारा भोजन के लिए आर्डर देना वास्तव में लागू करों के साथ मेनू कार्ड में दिखाई गई कीमतों का भुगतान करने के लिए उनके समझौते के बराबर है। ग्राहक की स्पष्ट सहमति के बिना इसके अलावा किसी भी चीज़ के लिए शुल्क लेना अनुचित व्यापार व्यवहार होगा जैसा कि अधिनियम के तहत परिभाषित किया गया है।
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