तमिलनाडु कैबिनेट ने ‘ऑनलाइन गैंबलिंग’ को प्रतिबंध लगाने वाले कानून को मंजूरी दी
तमिलनाडु कैबिनेट ने 26 सितंबर को ऑनलाइन जुए (online gambling) को नियंत्रित करने के लिए एक अध्यादेश जारी करने को अपनी मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश के मसौदे को अंतिम रूप दिए जाने के बाद यह फैसला लिया गया।
सरकार ने कहा कि राज्यपाल आरएन रवि की सहमति के बाद इसे लागू किया जाएगा।
मुख्य तथ्य
उल्लेखनीय है कि जून 2022 में, मुख्यमंत्री ने ऑनलाइन गैंबलिंग पर अंकुश लगाने के लिए एक नए कानून की घोषणा की, और राज्य सरकार ने राज्य में ऑनलाइन गैंबलिंग को विनियमित करने के लिए एक अध्यादेश की घोषणा पर सिफारिश करने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. चंद्रू की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया।
तदनुसार, 27 जून, 2022 को मुख्यमंत्री को सिफारिश प्रस्तुत की गई थी, और इसे उसी दिन कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए रखा गया।
देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ (Betting and gambling) गैरकानूनी हैं और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को अवैध माना जाता है जब उन प्लेटफार्मों में ‘चांस का खेल’ शामिल होता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक लिखित में लोकसभा में जवाब देते हुए कहा थे कि जुआ और सट्टेबाजी (gambling and betting ) के सभी रूप राज्य सरकारों के दायरे में आते हैं और राज्यों ने अपने अधिकार क्षेत्र में इससे निपटने के लिए कानून बनाए हैं।
हालांकि इस तरह के कानून कर्नाटक ने भी बनाये थे परन्तु कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था। कर्नाटक के उच्च न्यायालय ने 14 फरवरी, 2022 को कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम, 2021 के असंवैधानिक कुछ प्रावधानों के रूप में घोषित किया था, जो पैसे को जोखिम में डालकर या अन्यथा ऑनलाइन गेम खेलने की गतिविधियों को प्रतिबंधित और अपराधी बनाता था।
कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा था कि कौशल के सभी खेलों (Game of skills) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाली विधायी कार्रवाई आनुपातिकता के सिद्धांत (principle of proportionality) की अवहेलना करती है और इसलिए प्रकट मनमानी के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है। हालाँकि न्यायालय ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार गैंबलिंग और बेटिंग पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु कानून बना सकती है।
लॉटरी-एक गैंबलिंग है और राज्यों को कर राज्य लगाने के अधिकार है-सर्वोच्च न्यायालय
उल्लेखनीय है कि मार्च 2022 में, सर्वोच्च न्यायालय ने ‘लॉटरियों’ को “जुआ गतिविधि ” (gambling activity) करार दिया था।
23 मार्च को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक राज्य विधायिका को राज्य सूची की प्रविष्टि 62 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में अन्य राज्यों द्वारा संचालित लॉटरी पर कर लगाने का अधिकार है।
न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि लॉटरी, चाहे वह भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा संचालित या आयोजित की जाती है, ‘सट्टेबाजी और जुआ’ है। लॉटरी ‘सट्टेबाजी और जुआ’ के दायरे में हैं, जैसा कि प्रविष्टि 34 सूची II में प्रदर्शित होता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि सातवीं अनुसूची की सूची I-प्रविष्टि संख्या- 40 में भारत सरकार या राज्य की सरकार द्वारा संचालित लॉटरी को छोड़कर अन्य राज्यों की लॉटरी पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को कानून नहीं छीनती है।