अमेरिका में मांग की वजह से भारत से प्रयोगशाला निर्मित हीरे का निर्यात बढ़ने का अनुमान
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, सूरत प्रयोगशाला निर्मित हीरों (laboratory-created diamonds) का वैश्विक केंद्र बनने की तैयारी कर रहा है। भारत, जो दुनिया में बेचे जाने वाले लगभग 90% हीरे को काटता या पॉलिश करता है, प्रयोगशाला में बने रत्नों की बिक्री में तेजी ला रहा है क्योंकि अमेरिका में इसकी मांग बढ़ रही है और वे अन्य बाजारों में अधिक स्वीकार्य हो गए हैं। 1 अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में पॉलिश किए गए लैब में तैयार किए गए हीरों का निर्यात पिछले साल के 1.3 अरब डॉलर से दोगुना हो जाने का अनुमान है।
प्राकृतिक हीरों के विपरीत, जो एक सीमित संसाधन हैं और उपयोग के लिए खनन और पॉलिश किए जाने से पहले कड़े उपायों और लंबे गेस्टेशन से गुजरते हैं, प्रयोगशाला में बनाए गए हीरे कम लागत और तेजी से विकसित किए जा सकते हैं।
प्रयोगशाला में निर्मित हीरे प्राकृतिक हीरे के समान होते हैं सिवाय इसके कि लम्बे समय के निर्माण का परिणाम नहीं होते हैं। फिर भी अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और अन्य बाजारों द्वारा इसे वास्तविक माना जाता है।
चूंकि उन्हें इसे प्राकृतिक हीरे के समान कैरेट और गुणवत्ता के साथ निर्मित किया जा सकता है, इसलिए उनकी पॉलिशिंग भी बाद वाले के समान ही होती है। इसलिए सूरत की भूमिका और बढ़ गयी है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया के 10 में से नौ हीरे सूरत में पॉलिश किए जाते हैं।
लैब-निर्मित हीरे
लैब-निर्मित हीरे मानव निर्मित हीरे हैं जो प्राकृतिक हीरे जैसे दिखते हैं। चूंकि ये वास्तव में कार्बन परमाणु संरचनाओं से बने होते हैं, इसलिए प्रयोगशाला में विकसित हीरे प्रकृति की भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पादित प्राकृतिक हीरे के क्रिस्टल की समान रासायनिक और ऑप्टिकल विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं।
प्रयोगशाला निर्मित हीरे उन प्रक्रियाओं की नकल करके बनाए जाते हैं जिनके परिणामस्वरूप प्राकृतिक हीरे का निर्माण होता है। प्राकृतिक हीरे तीव्र गर्मी और दबाव में निर्मित होते हैं, जो लाखों वर्षों में कार्बन परमाणुओं को सुंदर और मनोरम रत्नों में बदल देता है जिन्हें हम हीरे के रूप में जानते हैं।
लैब-निर्मित हीरे उसी तरह बढ़ते हैं, बस अंतर यह है मानव निर्मित प्रक्रिया के माध्यम से हीरे बनाने में महज कई सप्ताह लगते हैं, प्राकृतिक हीरे की तरह लाखों साल नहीं।
हीरे आमतौर पर प्रयोगशालाओं में दो तरह से बनाए जाते हैं – रासायनिक वाष्प जमाव (chemical vapour deposition: CVD) और उच्च दबाव उच्च तापमान ( high pressure high temperature: HPHT)।