भद्राचलम और रुद्रेश्वर मंदिरों में तीर्थयात्रा सुविधाओं की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी गईं
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 28 दिसंबर को तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले के श्री सीता रामचंद्र स्वामीवरी देवस्थानम, भद्राचलम में ‘भद्राचलम मंदिरों के समूह (Bhadrachalam Group of Temples) में तीर्थयात्रा सुविधाओं का विकास’ परियोजना की आधारशिला रखी।
उन्होंने राज्य के मुलुगु में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर में तीर्थयात्रा और विरासत अवसंरचना विकास नामक एक अन्य परियोजना की आधारशिला भी रखी।
इन दोनों परियोजनाओं को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की PRASHAD (नेशनल मिशन ऑन पिलग्रिमेज रिजुविनेशन एंड स्पिरिचुअल हेरिटेज ऑग्मेंटेशन ड्राइव) योजना के तहत मंजूरी दी गई है।
भद्राचलम श्री सीता रामचंद्र स्वामीवरी देवस्थानम मंदिर
भद्राचलम स्थित श्री सीता रामचंद्र स्वामीवरी देवस्थानम मंदिर (Sri Seetha Ramchandra Swamyvari Devasthanam) को 350 वर्षों से अधिक पुराना बताया जाता है और रामायण के महाकाव्य से निकटता से जुड़ा हुआ है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपनी पत्नी देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने 14 साल के वनवास का कुछ हिस्सा भद्राचलम मंदिर के पास दंडकारण्य वन के एक हिस्से परनासला नामक गांव में बिताया था।
रुद्रेश्वर मंदिर
रुद्रेश्वर मंदिर, (जिसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है) तेलंगाना में वारंगल के पास, मुलुगु में है और यह भारत का 39वां यूनेस्को विरासत स्थल है।
रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल के दौरान काकतीय राजा गणपति देव के सेनापति रेचरला रुद्र द्वारा किया गया था।
यहाँ के मुख्य देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं। 40 वर्षों तक मंदिर में काम करने वाले मूर्तिकार के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसे काकतीय शैली में बनाया गया है।