उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) क्या है?
उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) भारत में उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index: PPI) शुरू करने के लिए एक मॉडल को अंतिम रूप दे रहा है। यह सूचकांक थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की जगह लेगा।
PPI ने अधिकांश देशों में WPI की जगह ले ली है क्योंकि यह आर्थिक गतिविधि के मापकों को संकलित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत राष्ट्रीय लेखा प्रणाली (SNA) के अनुरूप है।
अर्थशास्त्री बी एन गोल्डर की अध्यक्षता में PPI पर एक कार्य समूह द्वारा 2017 में प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, 1970 के दशक से कई विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाएँ WPI की जगह PPI को अपना चुकी हैं।
WPI से PPI में बदलाव के कारण:
WPI में वस्तुओं की दोहरी/बहु गणना के पूर्वाग्रह को दूर करना,
अपस्फीतिकारक के रूप में उपयोग के लिए राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (NAS) के साथ वैचारिक रूप से सुसंगत सूचकांक संकलित करना।
भारत उन कुछ देशों में से एक है जो अभी भी WPI का उपयोग करते हैं। चीन सहित G-20 के सभी सदस्यों ने PPI अपना लिया है।
उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) की मुख्य विशेषताएं
PPI उत्पादन के विभिन्न चरणों में कीमतों को ट्रैक करके वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादकों के दृष्टिकोण से थोक मूल्यों को मापता है।
PPI WPI से इस तरह से भिन्न है कि यह उत्पादकों द्वारा प्राप्त कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है और अप्रत्यक्ष करों को बाहर करता है। वहीं, WPI थोक लेनदेन के बिंदु पर मूल्य परिवर्तनों को कैप्चर है और इसमें कुछ कर और परिवहन लागत शामिल हो सकती है।
PPI WPI में निहित बहु गणना पूर्वाग्रह को भी हटाता है।
करों और परिवहन द्वारा लगाए गए उत्पादों पर अतिरिक्त लागतों को कम करने से यह मूल्य में उतार-चढ़ाव को का अधिक सटीक माप बन जाता है।
WPI में किसी वस्तु का भार शुद्ध कारोबार मूल्य पर आधारित होता है जबकि PPI में भार आपूर्ति उपयोग तालिकाओं से प्राप्त किया जाता है।
PPI में सेवाएँ भी शामिल हैं जबकि WPI में केवल वस्तुएँ हैं।