केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने कार्बन क्रेडिट में व्यापार के लिए “कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना” अधिसूचित की
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 30 जून 2023 को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना, 2023 (Carbon Credit Trading Scheme) को अधिसूचित किया।
योजना के प्रमुख बिंदु
इस योजना का लक्ष्य घरेलू कार्बन बाजार को विकसित करना है ताकि अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइज करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके और 2030 तक उत्सर्जन में 2005 के स्तर से 45% की कटौती करने की प्रतिबद्धता प्राप्त की जा सके।
कार्बन क्रेडिट ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने, हटाने या उससे बचने के लिए दिया गया मूल्य है और यह एक टन कार्बन डाइऑक्साइड में कमी लाने, हटाने या उससे बचने के (tCO2e) के बराबर है।
केंद्र सरकार कार्बन बाजार को संचालित करने और उस पर सीधी निगरानी रखने के लिए बिजली और पर्यावरण सचिवों की अध्यक्षता में 20-22 सदस्यीय नेशनल स्टीयरिंग कमेटी (NSC) गठित करेगी।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) भारतीय कार्बन बाजार को संस्थागत बनाने की प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देगा और NSC के मार्गदर्शन में नियम और विनियम तैयार करेगा।
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) व्यापारिक गतिविधियों के लिए रेगुलेटर होगा। यह पावर एक्सचेंजों को पंजीकृत करेगा और समय-समय पर भारतीय कार्बन बाजार में कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र ट्रेड को मंजूरी देगा।
भारतीय कार्बन बाजार की रजिस्ट्री ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया होगी।
BEE कार्बन में कमी वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा, उत्सर्जन में कमी के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगा, कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी करेगा और कार्बन सत्यापन एजेंसियों को मान्यता देगा।
यदि बाध्य संस्थाएं उत्सर्जन कटौती के अपने निर्धारित लक्ष्य से बेहतर प्रदर्शन करती हैं तो उन्हें कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे।
अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ संस्थाएँ कार्बन बाज़ार से प्रमाणपत्र खरीदकर कमी को पूरा करेंगी।