भारत की पहली स्वदेश निर्मित हाइड्रोजन फ्यूल सेल फेरी बोट

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी को तमिलनाडु में भारत की पहली स्वदेश निर्मित हाइड्रोजन फ्यूल सेल फ़ेरी बोट को हरी झंडी दिखाई।

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित इस जहाज को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सेवा के लिए तैनात किया जाएगा।

यह पायलट जहाज 24 मीटर का कैटामरन है जो 50 यात्रियों को ले जा सकता है। यह शहरी यातायात पर बोझ को कम कर देगा।

हरित नौका पहल के तहत हाइड्रोजन सेल संचालित अंतर्देशीय जलमार्ग पोत का उदघाटन किया गया।

प्रधान मंत्री ने वी.ओ.चिदंबरनार बंदरगाह को देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन हब बंदरगाह बनाने के उद्देश्य से कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।

इन परियोजनाओं में अलवणीकरण संयंत्र, हाइड्रोजन उत्पादन, बंकरिंग सुविधा आदि शामिल हैं।

वी.ओ.चिदंबरनार बंदरगाह देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन हब बंदरगाह है। हाइड्रोजन ईंधन पोत पूरी तरह से घरेलू तकनीक पर आधारित है।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल जहाज विद्युत ऊर्जा के प्राथमिक स्टोरेज हाउस के रूप में पारंपरिक बैटरियों का उपयोग नहीं करते हैं। ये जहाज हाइड्रोजन ईंधन पर चलते हैं, जिसे सिलेंडर में स्टोर किया जाता है।

इस नाव में पांच हाइड्रोजन सिलेंडर हैं जो 40 किलोग्राम हाइड्रोजन ले जा सकते हैं और आठ घंटे के संचालन का समर्थन कर सकते हैं। जहाज में 3 किलोवाट का सौर पैनल भी लगा हुआ है।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाले जहाज में शून्य उत्सर्जन, शून्य शोर है और यह एनर्जी एफिसिएंट भी है, जो इसे अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाता है।

चूँकि इसमें कोई गतिशील भाग नहीं होते, इसलिए नौका को पारम्परिक जहाजों की तुलना में कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल हाइड्रोजन में निहित रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करता है। यह केवल शुद्ध पानी छोड़ता है, प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं करता।

हाइड्रोजन को सेल में भरा जाता है। हाइड्रोजन के भीतर की ऊर्जा को बिजली और गर्मी में परिवर्तित किया जाता है, जिसका उपयोग जहाज के प्रोपल्शन सिस्टम को पावर देने के लिए किया जाता है।

फ्यूल सेल में, हाइड्रोजन हवा में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके बिजली उत्पन्न करता है। बैटरियों के विपरीत, हाइड्रोजन फ्यूल सेल को रिचार्जिंग की आवश्यकता नहीं होती है।

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