पीएम किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना
केंद्रीय कृषि मंत्रालय लघु और सीमान्त किसानों को उनके उपज के लिए भण्डारण सुविधा प्रदान करने तथा भण्डारण के बदले ऋण उपलब्ध कराने के लिए “पीएम किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना” (PM Kisan Bhai (Bhandaran Incentive) Scheme) शुरू करने की योजना पर काम कर रहा है।
प्रस्तावित योजना की मुख्य विशेषताएं
इस योजना के दो घटक हैं; किसानों को अनाज भंडारण लागत वहन करने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा वित्त पोषित “वेयरहाउस रेंटल सब्सिडी (WRS)” और भंडारित उपज के बदले रियायती दरों पर ऋण प्राप्त करने में मदद करने के लिए प्रांप्ट रीपेमेंट इंसेंटिव (PRI)।
वेयरहाउस रेंटल सब्सिडी (WRS)
वेयरहाउस रेंटल सब्सिडी (WRS) के तहत गोदाम में उपज का भंडारण करने वाले और इसे e-NAM या अन्य लाइसेंस प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म के माध्यम से बेचने वाले सभी लघु और सीमांत किसानों (2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले) को प्रति क्विंटल उपज पर 4 रूपये की मासिक सब्सिडी राशि देने का प्रस्ताव है।
इस योजना में केवल उन किसानों को सब्सिडी का भुगतान करने का प्रस्ताव है जो अपनी उपज को न्यूनतम 15 दिनों और अधिकतम तीन महीने की अवधि के लिए भंडारित करते हैं।
यह भी एक वर्ष में केवल दो फसलों के लिए भुगतान किया जाएगा।
एक किसान प्रति वर्ष अधिकतम 53 क्विंटल गेहूं, 45 क्विंटल चावल, 38 क्विंटल अन्य अनाज आदि पर WRS का लाभ उठा सकता है। इस प्रकार प्रति किसान अधिकतम वार्षिक सब्सिडी ₹420 से ₹1,176 तक होगी।
दोनों योजनाएं केवल उन राज्यों में लागू की जा सकती हैं जिन्होंने गोदामों को डीम्ड मार्केट यार्ड घोषित करने और कृषि उपज के इलेक्ट्रॉनिक व्यापार की अनुमति देने के लिए अपने APMC अधिनियमों में संशोधन किया है।
प्रांप्ट रीपेमेंट इंसेंटिव (PRI)
पहले चरण में यह योजना आंध्र प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में पायलट आधार पर लागू की जा सकती है।प्रांप्ट रीपेमेंट इंसेंटिव (PRI)
प्रांप्ट रीपेमेंट इंसेंटिव (PRI) घटक के तहत, सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत 3 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज छूट का विस्तार करने का प्रस्ताव किया है ताकि किसान अपनी उपज गिरवी रख सकें और रियायती ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकें।
यह योजना क्यों लायी जा रही है?
भारत में लघु और सीमांत किसान दो बाधाओं के कारण शायद ही कभी अपनी उपज के लिए उचित मूल्य हासिल कर पाते हैं। 1. उनके पास गोदाम में उत्पाद भंडारित करने के लिए संसाधनों की कमी है ताकि वे इसे उचित समय पर बेच सकें; 2. वे अपने अनाज को गिरवी रखकर ऋण प्राप्त करने में असमर्थ हैं और इसलिए कैश के लिए जल्दबाजी में अपनी उपज बेच देते हैं।
इस योजना को फसलों की कीमतें तय करने में व्यापारियों के एकाधिकार को तोड़ने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। किसान भाई से किसानों को सशक्त बनाने की उम्मीद की जा रही है, जिससे वे कटाई के बाद कम से कम तीन महीने तक अपनी फसल को भंडारित रख सकेंगे।
यह पहल किसानों को यह तय करने की स्वायत्तता देती है कि उन्हें कब बेचना है, मौजूदा प्रथा के विपरीत जहां अधिकांश फसलें कटाई के मौसम के दौरान बेची जाती हैं, आमतौर पर 2-3 महीनों में, व्यापारी और स्टॉकिस्ट पूरे ऑफ-सीजन में आपूर्ति को नियंत्रित करते हैं।
योजना के साथ समस्याएँ
e-NAM के माध्यम से बिक्री करने से योजना का दायरा e-NAM पर मौजूद 12.6 करोड़ लघु और सीमांत किसानों में से 1.76 करोड़ तक सीमित हो जाता है।
प्रस्तावित वार्षिक सब्सिडी इतनी नहीं है कि किसानों को वेयरहाउसिंग या e-NAM पर अपनी उपज बेचने के लिए प्रेरित कर सके।
PRI की पेशकश केवल उन किसानों को की जाएगी जो इलेक्ट्रॉनिक गोदाम रसीदों और e-NAM/इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर व्यापार के बदले किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से वित्त का लाभ उठा रहे हैं।
सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऋणदाता को अनिवार्य रूप से वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी के साथ सूचीबद्ध होना होगा।