पूर्वोत्तर परिषद (NEC) के स्वर्ण जयंती समारोह का औपचारिक उद्घाटन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18 दिसंबर 2022 को शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद (North Eastern Council: NEC) की बैठक को संबोधित किया। यह बैठक पूर्वोत्तर परिषद के स्वर्ण जयंती समारोह (golden jubilee) का प्रतीक है, जिसका औपचारिक उद्घाटन 1972 में हुआ था।
- प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वे अक्सर क्षेत्र के 8 राज्यों को अष्ट लक्ष्मी के रूप में संदर्भित करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इसके विकास के लिए 8 आधार स्तंभों, अर्थात – शांति, बिजली, पर्यटन, 5G कनेक्टिविटी, संस्कृति, प्राकृतिक खेती, खेल की क्षमता पर काम करना चाहिए।
- स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के दौरान पिछले 50 वर्षों के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में NEC के योगदान के वृत्तांतों पर एक स्मारक दस्तावेज “गोल्डन फुटप्रिंट्स” भी जारी किया जायेगा।
- पूर्वोत्तर परिषद (NEC) की स्थापना संसद के अधिनियम 1971 के तहत की गई थी। इसका औपचारिक उद्घाटन शिलांग में 7 नवंबर, 1972 को हुआ था तथा नवंबर 2022 को इसने अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं।
- केंद्रीय गृहमंत्री और NEC के अध्यक्ष की अध्यक्षता में अक्टूबर 2022 को गुवाहाटी में आयोजित 70वीं आमसभा की बैठक में तय किया गया था कि NEC के इस अहम पड़ाव का समारोह उसके वास्तविक अर्थों में मनाया जायेगा। तदनुसार, NEC का स्वर्ण जयंती समारोह शिलांग में 18 दिसंबर, 2022 को आयोजित किया गया।
पूर्वोत्तर परिषद (NEC) के बारे में
- पूर्वोत्तर परिषद (NEC) पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नोडल एजेंसी है जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के आठ राज्य शामिल हैं।
- NEC पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDoNER) के प्रशासनिक दायरे में आता है। 1971 में संसद के एक अधिनियम (1971 के अधिनियम संख्या 84) द्वारा स्थापित, NEC का औपचारिक रूप से उद्घाटन 7 नवंबर, 1972 को शिलांग, मेघालय में किया गया था।
- इसमें मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा के सात राज्य शामिल थे। सिक्किम को NEC (संशोधन) अधिनियम, 2002 (2002 का 68) के माध्यम से आठवें सदस्य राज्य के रूप में शामिल किया गया था।
- बता दें कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत भारत में पाँच क्षेत्रीय परिषदों (Zonal Councils) की स्थापना की गयी थी, लेकिन इनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों को शामिल नहीं किया। उनकी विशेष समस्याओं को समाधान के लिए अलग से पूर्वोत्तर परिषद का गठन किया गया। इस तरह पूर्वोत्तर परिषद (NEC), पाँच क्षेत्रीय परिषदों का हिस्सा नहीं है।