प्रधानमंत्री ने 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित किया
प्रधानमंत्री ने 03 जनवरी 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (108th Indian Science Congress) को संबोधित किया।
कार्यक्रम की मेजबानी राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU) अपने अमरावती रोड परिसर में कर रहा है।
इस वर्ष कार्यक्रम की थीम है: सांइस एंड टेक्नोलॉजी फॉर सस्टेनेबल डेवलप्मेंट विद विमेन एमपावरमेंट” (महिला सशक्तिकरण सहित सतत विकास के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी) है।
इस सम्मेलन के साथ महिला विज्ञान कांग्रेस, किसान विज्ञान कांग्रेस, बाल विज्ञान कांग्रेस, जनजातीय समागम, विज्ञान व समाज तथा विज्ञान संचारकों की कांग्रेस के एक-एक सत्र का भी आयोजन किया जा रहा है।
बता दें कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस का पहला अधिवेशन 1914 में आयोजित किया गया था।
क्या कहा प्रधानमंत्री ने?
21वीं सदी के आज के भारत में हमारे पास दो चीजें बहुतायत में हैं। पहली- डेटा और दूसरी- टेक्नोलॉजी। इन दोनों में भारत की साइंस को नई बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत है। दोनों में भारत की साइंस को नई बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत है। Data Analysis की फील्ड, तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। ये Information को Insight में और Analysis को actionable Knowledge में बदलने में मदद करती है। चाहे Traditional Knowledge हो या Modern Technology, ये दोनों ही Scientific Discovery में मददगार होती हैं।
साइंस के क्षेत्र में भारत तेजी से वर्ल्ड के Top Countries में शामिल हो रहा है। 2015 तक हम 130 देशों की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें नंबर पर थे। लेकिन, 2022 में हम छलांग लगाकर 40वें नंबर पर पहुँच गए हैं।
आज भारत, PhDs के मामले में दुनिया में टॉप-3 देशों में है। आज भारत स्टार्ट अप ecosystem के मामले में दुनिया के टॉप-3 देशों में है।
मौजूद वैज्ञानिक ऐसा Institutional Framework विकसित करें, जो युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करे और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे। उदाहरण के लिए, टैलेंट हंट और हैकेथॉन के आयोजनों के जरिए साइंटिफिक सोच रखने वाले बच्चों की तलाश की जा सकती है।
भारत में साइंस, भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए। हमें ये भी ध्यान रखना है कि आज दुनिया की 17-18 प्रतिशत मानव आबादी भारत में रहती है।
ऐसे साइंटिफिक वर्क्स, जिनसे भारत की जरूरतें पूरी होंगी, उनसे विश्व की 17-18 प्रतिशत मानवता को गति मिलेगी।
भारत की साइंटिफिक कम्यूनिटी अगर Energy requirements से जुड़े Innovations करती है, तो उससे देश का बहुत भला होगा। ख़ासकर, हाइड्रोजन एनर्जी की अपार संभावनाओं के लिए देश, नेशनल हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रहा है। इसे सक्सेसफुल बनाने के लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रोलाइजर जैसे विभिन्न essential components देश में ही बनें। हमें Integrated Disease Surveillance के जरिए समय रहते बीमारियों की पहचान करनी होगी और उससे निपटने के उपाय करने होंगे।
हमें ऐसे Innovations पर काम करना होगा, जिससे मेटल और प्लास्टिक स्क्रैप का बेहतर इस्तेमाल हो सके। हमें प्रदूषण कम करने और स्क्रैप को उपयोगी बनाने पर एक साथ काम करना होगा।
क्वांटम कंप्यूटर्स, क्वांटम केमिस्ट्री, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम सेंसर्स, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और new materials की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।