“पिरूल लाओ-पैसा पाओ” मिशन

जंगल की आग को रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ‘पिरूल लाओ-पैसा पाओ’ (Pirul Lao-Paise Pao) मिशन पर काम कर रही है। इस मिशन के तहत वनाग्नि को कम करने के उद्देश्य से पिरूल को संग्रहण केन्द्र पर 50 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जायेगा।

इस मिशन का संचालन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया जाएगा, जिसके लिए 50 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड अलग से रखा जाएगा। इस संबंध में उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगलों से पिरूल (चीड़ की पत्तियां) एकत्र करने के लिए एक प्रभावी योजना बनाई जानी चाहिए।

उत्तराखंड के विभिन्न वन क्षेत्रों में जंगल की आग का कहर जारी है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के आंकड़ों के अनुसार, 28 अप्रैल के बाद से पिछले सात दिनों में उत्तराखंड में देश में सबसे अधिक जंगल की आग दर्ज की गई है।

उत्तराखंड में जंगल की आग की बढ़ती आवृत्ति को प्राकृतिक घटनाओं और मानवीय गतिविधियों के मिश्रण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

ये जंगल, जो मुख्य रूप से 3.94 लाख हेक्टेयर में फैले अत्यधिक ज्वलनशील चीड़ के पेड़ों से भरे हुए हैं, अत्यधिक ज्वलनशील हैं और इसलिए आग लगने का खतरा अधिक है। इसके अतिरिक्त, हिमालय में वातारण लंबे समय तक शुष्क रहने के साथ-साथ अतिरिक्त बायोमास जैसे कारकों ने भी इस घटना में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।

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