यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का “पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स (PCAF) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 9 सितंबर को पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स (PCAF) पर हस्ताक्षर करने के अपने निर्णय की घोषणा की। भारत में यह पहला बड़ा बैंक है जो PCAF पर हस्ताक्षर कर रहा है।  

यह कदम जलवायु जोखिम प्रबंधन पर बढ़ते वैश्विक जोर और जलवायु से जुड़े जोखिम डिस्क्लोजर पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए हाल के मसौदा दिशानिर्देशों के अनुरूप है।

पार्टनरशिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स (PCAF) पेरिस समझौते के लिए वित्तीय उद्योग की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुविधाजनक बनाने के लिए उद्योग के नेतृत्व वाली साझेदारी है।

2015 में, नीदरलैंड के चौदह  वित्तीय संस्थानों ने ASN बैंक के नेतृत्व में PCAF बनाया। इस पहल की शुरुआत 2015 में पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन में वार्ताकारों को बुलाकर डच कार्बन संकल्प के माध्यम से की गई थी।

अब, PCAF दुनिया के किसी भी वित्तीय संस्थान के लिए खुला है और इसलिए इसने ग्रीन हाउस गैस (GHG) ऑडिटिंग पद्धतियाँ विकसित की हैं जो किसी भी वित्तीय संस्थान पर लागू होती हैं।

वर्तमान में अग्रलिखित परिसंपत्ति वर्ग PCAF द्वारा कवर किए गए हैं: सूचीबद्ध इक्विटी और कॉर्पोरेट बॉन्ड, व्यावसायिक ऋण और गैर-सूचीबद्ध इक्विटी, परियोजना वित्त, बंधक, वाणिज्यिक अचल संपत्ति और मोटर वाहन ऋण।

वित्तपोषित उत्सर्जन (Financed emissions), जिसे अक्सर स्कोप 3 उत्सर्जन (Scope 3 emissions) के रूप में संदर्भित किया जाता है, अप्रत्यक्ष उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करता है जो बैंक की उधार और निवेश गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है।

ये उत्सर्जन बैंक के ऑपरेशनल उत्सर्जन से काफी अधिक हो सकते हैं और जलवायु परिवर्तन और विकसित हो रहे नियमों के सामने इसके पोर्टफोलियो के लिए पर्याप्त जोखिम पैदा कर सकते हैं।

वित्तपोषित उत्सर्जन को ट्रैक करने के महत्व को RBI के हाल ही में 28 फरवरी, 2024 को जारी ‘जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों पर डिस्क्लोजर फ्रेमवर्क, 2024’ पर मसौदा दिशानिर्देशों द्वारा रेखांकित किया गया है।

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