पटाखों पर प्रतिबंध का आदेश केवल दिल्ली एनसीआर के लिए नहीं है-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को स्पष्ट किया कि पटाखों से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के उसके वर्ष 2018 के आदेश केवल दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश के राज्यों पर लागू होते हैं।

शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाने के आदेशों के बावजूद राजस्थान में प्रदूषण में वृद्धि को उजागर करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अक्टूबर 2018 में शीर्ष अदालत ने ‘ग्रीन पटाखों’ और कम उत्सर्जन वाले (बेहतर पटाखों) को छोड़कर सभी पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इसने ‘जॉइंट क्रैकर्स’ के निर्माण और बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया, साथ ही आतिशबाजी में बेरियम साल्ट के उपयोग पर भी रोक लगा दी और कहा कि उनका शोर स्तर अनुमत सीमा के भीतर होना चाहिए।

अदालत ने इन पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया और निर्देश दिया कि उन्हें केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से ही बेचा जा सकता है और विभिन्न अवसरों पर पटाखे फोड़ने की समय-सारणी निर्धारित की ।

कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2021 को अपने पुराने आदेश को दोहराया।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और निर्देशानुसार केवल उन्हीं पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

बेरियम जैसे रसायन रंग भरने वाले एजेंट हैं, और मानव स्वास्थ्य पर उनके हानिकारक प्रभाव, जैसे श्वसन पथ में जलन, त्वचा की एलर्जी, सांस लेने में कठिनाई और यहां तक कि कैंसर के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

पटाखे में सफेद रंग एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम और टाइटेनियम के माध्यम से उत्सर्जित होता है, जबकि नारंगी रंग कार्बन या लोहे के माध्यम से उत्सर्जित होता है।

पीले एजेंट सोडियम यौगिक हैं जबकि नीले और लाल तांबे के यौगिक और स्ट्रोंटियम कार्बोनेट हैं।

हरा एजेंट बेरियम मोनो क्लोराइड साल्ट या बेरियम नाइट्रेट या बेरियम क्लोरेट है।

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