चाबहार बंदरगाह पर भारत और ईरान के बीच 10 वर्षों के अनुबंध पर हस्ताक्षर

भारत और ईरान ने 13 मई को चाबहार बंदरगाह पर भारतीय परिचालन को कवर करने वाले 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारत ने ओमान की खाड़ी में स्ट्रेटेजिक फैसिलिटी के आसपास इंफ्रास्ट्रक्चर  के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट विंडो भी ऑफर किया है।

इस समझौते पर तेहरान में   इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान के बंदरगाह और समुद्री संगठन (पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन-पीएमओ) के बीच हस्ताक्षरित किया गया।

समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, दोनों देशों ने चाबहार में भारत की दीर्घकालिक भागीदारी की नींव रखी है।

चाबहार न केवल भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह है, बल्कि समुद्री दृष्टि से भी यह एक उत्कृष्ट बंदरगाह है। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (IPGCFZ) वर्तमान में चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बहिश्ती टर्मिनल का संचालन करती है।  

नए अनुबंध के तहत, भारत सरकार की कंपनी  IPGL शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल को और सुसज्जित करने के लिए लगभग 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन पर मई 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे। यह अनुबंध 23 मई 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान सम्पन्न किया गया था।

चाबहार ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में एक डीप वाटर पोर्ट है। यह ईरानी बंदरगाह भारत के सबसे नजदीक है और खुले समुद्र में स्थित है, जो बड़े मालवाहक जहाजों के लिए आसान और सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है।

ओमान की खाड़ी के मुहाने पर स्थित, चाबहार बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।

इसे यूरोपीय देशों के साथ भारत की व्यापार क्षमता को खोलने के प्रवेश द्वार के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि चाबहार प्रस्तावित मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर “अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC)” का हिस्सा है, जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान से होते हुए कैस्पियन से तथा उससे आगे रूस में सेंट पीटर्सबर्ग से होते हुए उत्तरी यूरोप को जोड़ेगा।

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