ओडिशा ने बिजली गिरने से होने वाली मौत को कम करने के लिए ताड़ के पेड़ों की कटाई को प्रतिबंधित किया

ओडिशा ने मौजूदा ताड़ के पेड़ों की कटाई को प्रतिबंधित कर दिया है और बिजली गिरने से होने वाली हताहतों को कम करने के लिए लगभग 1.9 मिलियन ऐसे पेड़ लगाने की योजना बना रहा है।

ओडिशा प्री-मानसून और मानसून अवधि के दौरान बिजली गिरने से भारत के सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक है। राज्य सरकार के अनुसार, निजी भूमि परिसर में ताड़ के पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होगी।

ताड़ के पेड़ बिजली गिरने के दौरान नेचुरल कंडक्टर (प्राकृतिक तड़ित चालक) के रूप में कार्य करते हैं और जानमाल की हानि को रोकते हैं।

ओडिशा सरकार ने सितंबर 2023 में ताड़ के पेड़ों का व्यापक रोपण करने और मौजूदा पेड़ों की सुरक्षा करने का निर्णय लिया। ओडिशा में बिजली गिरने से हर साल औसतन 300 लोगों की मौत होती है, जबकि 2018-19 से 2022-23 तक पांच वर्षों में बिजली गिरने से कुल 2,058 मौतें हुई हैं।  

2015 में ओडिशा में बिजली को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित किया गया था।  कुछ राज्यों ने मांग की है कि “बिजली” को राष्ट्रीय स्तर पर “प्राकृतिक आपदा” घोषित किया जाए क्योंकि इसके कारण होने वाली मौतें देश में किसी भी अन्य आपदा से अधिक हैं।

2023 में, केंद्र सरकार ने कहा था कि वह बिजली को प्राकृतिक आपदा घोषित करने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इससे होने वाली मौतों को शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से टाला जा सकता है।

बता दें कि  भारत दुनिया के उन पाँच देशों में शामिल है, जिनके पास बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी प्रणाली है और पूर्वानुमान पाँच दिनों से लेकर 3 घंटे तक उपलब्ध है।  

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