भारत की दूसरी न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन आईएनएस अरिघात भारतीय नौसेना में शामिल हुई
परमाणु ऊर्जा से संचालित दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) ‘आईएनएस अरिघात’ (INS Arighaat) को 29 अगस्त, 2024 को विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
आईएनएस अरिघात नाम की इस पनडुब्बी का नाम ‘दुश्मन का नाश करने वाली’ है और इसका पताका नंबर S3 है।
यह आईएनएस अरिहंत के बाद परमाणु श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है। आईएनएस अरिहंत को अगस्त 2016 में नौसेना में शामिल किया गया था।
‘आईएनएस अरिघात’ भारत की परमाणु त्रिकोण को और मजबूत करेगा, परमाणु निरोध को बढ़ाएगा, क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगा और देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
आईएनएस अरिघात को आईएनएस अरिहंत के समान कहा जाता है, लेकिन इसकी क्षमताएं अधिक परिष्कृत हैं। परमाणु रिएक्टर जो इसके पतवार में लगा हुआ है, पनडुब्बी को सतह पर लगभग 12 से 15 समुद्री मील और जल के भीतर होने पर 20 से 24 समुद्री मील गति प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
वह लगभग 10 से 12 K-15 परमाणु-युक्त पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) ले जा सकती है और INS अरिहंत की तरह मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए चार वर्टीकल लॉन्च ट्यूबों से लैस है।
मिसाइलों की रेंज लगभग 750 किमी है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां अधिक स्टील्थ होती हैं और अधिक गहराई में सावधनी से चलती हैं।
उन्हें अपनी बैटरी को रिचार्ज करने के लिए ऑक्सीजन के लिए सतह या स्नोर्कल की आवश्यकता नहीं होती है।
इस पनडुब्बी में ज़्यादा वर्टीकल ट्यूब होंगे और यह 3,000 किलोमीटर से ज़्यादा की रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलें ले जा सकती है।
INS अरिघात का सामरिक महत्व इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में इसकी गश्ती क्षमताओं से और भी बढ़ जाता है। जैसे-जैसे भारत का भू-राजनीतिक ध्यान इस क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है, दूसरी SSBN होने से किसी भी नौसैनिक खतरे के खिलाफ़ भारत की निवारक क्षमता मजबूत होगी।