FSSAI ने मिथुन को ‘फूड एनिमल’ का दर्जा दिया

भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 1 सितंबर, 2023 से गोजातीय मिथुन (Mithun) को ‘खाद्य पशु’ (food animal) के रूप में मान्यता दी।

प्रमुख बिंदु

इससे किसानों और आदिवासी ग्रामीण समुदायों को मिथुन के मांस की बिक्री और प्रोसेसिंग से व्यावसायिक रूप से लाभ उठाने में मदद मिलेगी

1 सितंबर को, ICAR ने मिथुन किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर व्यापार करने में मदद करने के उद्देश्य से “खरीदार” और “विक्रेता” के रूप में पंजीकृत करने के लिए M-ANITRA ऐप लॉन्च किया।

मिथुन, जिसका वैज्ञानिक नाम बोस फ्रंटलिस (Bos frontalis) है, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में पाए जाने वाले बोविडे परिवार की जुगाली करने वाली प्रजाति है।

मिथुन अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड, दोनों का राज्य पशु भी है। इसका धार्मिक महत्व है और इसका वध पारंपरिक रूप से विशेष अवसरों पर किया जाता है।

परंपरागत रूप से, मिथुन अर्ध-पालतू है। मिथुन कुछ हद तक ग्वार (भारतीय बाइसन) के समान दिखते हैं लेकिन आकार में ये इससे छोटे होते हैं।

इसे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीकात्मक प्रतिनिधि माना जाता है। इसी कारण से, इस धरती पर मिथुन के जन्म और आगमन के उपलक्ष्य में अरुणाचल प्रदेश की आदि जनजातियों द्वारा प्रतिवर्ष ‘सौलुंग’ उत्सव मनाया जाता है।

ऐसे त्योहारों के दौरान जानवर की बलि दी जाती है और उस समय उसका मांस खाया जाता है।

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