केरल में निपाह वायरस का संक्रमण
वर्ष 2018 के बाद से चौथी बार केरल में घातक निपाह वायरस (Nipah virus) का संक्रमण देखा जा रहा है। 30 अगस्त 2023 से दो संक्रमित लोगों की मौत हो गई है, जिससे अधिकारियों को कोझिकोड के कम से कम आठ गावों में रोकथाम क्षेत्र घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
निपाह एक ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है।
संक्रमण मुख्य रूप से दूषित भोजन के सेवन से होता है। मानव-से-मानव संक्रमण भी संभव माना जाता है।
इस वायरस के लिए होस्ट जानवर फ्रूट बैट यानी चमगादड़ (fruit bat) है, जिसे आमतौर पर फ्लाइंग फॉक्स (flying fox) के रूप में जाना जाता है।
फ्रूट बैट इस वायरस को सूअर जैसे अन्य जानवरों और कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों और भेड़ों तक फैलाने के लिए जाने जाते हैं।
मनुष्यों के बीच निपाह वायरस का पहला मामला मलेशिया (1998) और सिंगापुर (1999) में रिपोर्ट किया गया था।
इस वायरस का नाम मलेशिया के उस गांव से लिया गया है जहां जिस व्यक्ति में यह वायरस सबसे पहले पता चला था और उसकी इस बीमारी से मृत्यु हो गई थी।
मनुष्य मुख्य रूप से इन जानवरों के सीधे संपर्क से, या इन संक्रमित जानवरों की लार या मूत्र से दूषित भोजन के सेवन से संक्रमित होते हैं।