CMS-COP14: अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश प्रदूषण दिशानिर्देश
प्रवासी प्रजातियों और वन्यजीवों के संरक्षण पर कन्वेंशन (Conservation of Migratory Species and Wild Animals: CMS) ने प्रवासी प्रजातियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश प्रदूषण दिशानिर्देश (Light Pollution Guidelines) तैयार किए हैं।
CMS-COP14, जो 17 फरवरी, 2024 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में समाप्त हुआ, ने नोट किया कि नेचुरल डार्कनेस का संरक्षण मूल्य स्वच्छ पानी, हवा और मृदा के मूल्य के बराबर है।
1992 और 2017 के बीच, कृत्रिम प्रकाश उत्सर्जन में 49 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और यह व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों सहित वन्यजीवों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
इन दिशानिर्देशों को 2020 में ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा विकसित ‘समुद्री कछुए, समुद्री पक्षी और प्रवासी शोरबर्ड सहित वन्यजीवों के लिए राष्ट्रीय प्रकाश प्रदूषण दिशानिर्देश‘ के अनुसार तैयार किया गया है।
वे वन्यजीवों पर प्रकाश प्रदूषण के प्रभाव को कम करने की सलाह देते हैं तथा प्रजातियों के व्यवहार, चारागाह, प्रवासन, फैलाव, अस्तित्व या प्रजनन पर कृत्रिम प्रकाश के प्रभावों को समझने के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करते हैं।
कृत्रिम प्रकाश के दुष्प्रभाव
बता दें कि जब कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था आहार खोजने में बाधा उत्पन्न करती है, तो पक्षी भूखे मर सकते हैं।
इसी तरह नए समुद्री पक्षी अपनी पहली उड़ान भरने में सक्षम नहीं हो सकते हैं यदि उनके घोंसले के पास कभी अंधेरा न हो।
कृत्रिम प्रकाश उड़ने वाले प्रवासी पक्षियों को भटका सकता है, कुशल प्रवासी पक्षी भी मार्गों से भटक कर पोलों से टकरा सकते हैं।
प्रवासी समुद्री पक्षी ऐसी जगहों पर बसेरा करने से बच सकते हैं, जहां अधिक रोशनी हो क्योंकि अधिक रौशनी की वजह से बड़े जानवर उनका शिकार कर सकते हैं।
हरी या लाल रोशनी की तुलना में सफेद रोशनी के संपर्क में आने से मुक्त उड़ान भरने वाले सॉन्गबर्ड में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिकोस्टेरोन भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप उच्च स्ट्रेस हार्मोन स्तर के कारण प्रजातियाँ कम संतान पैदा कर सकती हैं।