डूरंड कप: प्रमुख तथ्य
मोहन बागान ने ईस्ट बंगाल को 1-0 से हराकर डूरंड कप 2023 की ट्रॉफी जीती। मोहन बागान ने 23 वर्षों में पहली बार 132वां डूरंड कप (Durand Cup) जीता। फाइनल मैच कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में खेला गया।
प्रमुख बिंदु
इस जीत को दर्ज करते हुए मोहन बागान एसजी (Mohun Bagan SG) डूरंड कप के इतिहास में 17 खिताब जीतने वाली पहली टीम बन गई है।
ईस्ट बंगाल डूरंड कप में दूसरी सबसे सफल टीम है और उसके नाम 16 खिताब हैं।
इससे पहले, मोहन बागान ने 2004, 2009 और 2019 में डूरंड कप फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन, तब जीत दर्ज नहीं कर सके थे।
डूरंड कप के बारे में तथ्य
डूरंड कप भारत की सबसे प्राचीन फुटबाल ट्रॉफी है।
यह टूर्नामेंट 1888 में एक भारतीय सिविल सेवक और भारत के विदेश सचिव सर हेनरी डूरंड के नेतृत्व में शुरू हुआ।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान को अलग करने वाली आधुनिक डूरंड रेखा का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है। डूरंड कप की उनकी शुरुआत ब्रिटिश भारतीय सैनिकों को खेल और प्रतिस्पर्धी आयोजनों में शामिल करने के एक तरीके के रूप में शुरू हुई।
डूरंड कप सबसे पहले शिमला में आयोजित किया गया था।
डूरंड कप के विजेता को विजेता टीम को तीन अलग-अलग ट्रॉफियां मिलती हैं। डूरंड कप विजेताओं को तीन ट्राफियां (प्रेसिडेंट्स कप, शिमला कप और डूरंड कप) प्रदान की जाती हैं।
भारत की आजादी के बाद विजेताओं को सबसे पहले प्रेसिडेंट्स कप प्रथम भारतीय राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा सौंपा गया था।
डूरंड कप ट्रॉफी जो मूल पुरस्कार है।
शिमला कप पहली बार शिमला के निवासियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था जहाँ टूर्नामेंट शुरू में आयोजित किया गया था।
भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सशस्त्र बल प्रतियोगिता के प्रभारी बने रहे।