मियावाकी तकनीक
महाकुंभ 2025 की तैयारी के लिए, प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर घने वन विकसित किए गए हैं, ताकि शहर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध हवा और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में जापानी मियावाकी तकनीक (Miyawaki technique) का उपयोग करके कई ऑक्सीजन बैंक स्थापित किए हैं, जो अब हरे-भरे जंगलों में तब्दील हो गए हैं।
1970 के दशक में प्रसिद्ध जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित मियावाकी तकनीक सीमित स्थानों में घने जंगल बनाने की एक क्रांतिकारी तकनीक है।
इसे प्रायः ‘पॉट प्लांटिंग विधि’ के नाम से जाना जाता है, इसमें पेड़ों और झाड़ियों को एक-दूसरे के करीब लगाया जाता है ताकि उनकी वृद्धि में तेजी आए। इस तकनीक से पौधे 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं, जिससे यह शहरी क्षेत्रों के लिए एक व्यावहारिक समाधान बन जाता है।
यह विधि घनी रूप से रोपी गई देशी प्रजातियों के मिश्रण का उपयोग करके प्राकृतिक वनों की नकल करती है। इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार होता है, जैव विविधता बढ़ती है, तथा वन विकास में तेजी आती है।
मियावाकी तकनीक का उपयोग करके लगाए गए पेड़ पारंपरिक वनों की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं, तेजी से बढ़ते हैं, तथा अधिक समृद्ध जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं। शहरी क्षेत्रों में इस तकनीक ने प्रदूषित, बंजर भूमि को हरित पारिस्थितिकी तंत्र में बदल दिया है।