दूसरा मिथुन दिवस

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनाइक (सेवानिवृत्त) ने 1 सितंबर 2024 को ईटानगर में ‘मिथुन दिवस’ समारोह के तहत आयोजित ‘भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने के लिए एकीकृत मिथुन फार्मिंग’ (Integrated Mithun Farming for Enhancing Farmers) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

उन्होंने समारोह की स्मारिका के रूप में मिथुन पर स्थिति पत्र, पत्रक और साहित्य भी जारी किया और इस अवसर पर प्रगतिशील मिथुन किसानों को पुरस्कार प्रदान किए।

ICAR-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केंद्र, नागालैंड ने 1 सितंबर 2024 को ‘दूसरा मिथुन दिवस’ मनाया।

मिथुन अर्ध-जंगली गोजातीय प्राणी (semi-wild bovine creature) है।

पूर्वोत्तर राज्यों में मिथुन की सबसे अधिक आबादी अरुणाचल प्रदेश में है, जो पूरी दुनिया में मिथुन की कुल आबादी का 89% है।  

स्वतंत्र रूप से घूमने वाला मिथुन या गयाल (बोस फ्रंटलिस) अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड का स्टेट एनिमल है।

यह मणिपुर और मिजोरम की पहाड़ियों में भी पाया जाता है। 2019 में की गई पिछली पशुधन गणना के अनुसार, देश में 386,311 मिथुन थे।

अरुणाचल प्रदेश 350,154 के साथ तालिका में सबसे आगे है, उसके बाद नागालैंड 23,123, मणिपुर 9,059 और मिजोरम 3,975 के साथ दूसरे स्थान पर है।

मिथुन अपने मांस, दूध और भार वहन करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। वे पूर्वोत्तर के कई आदिवासी समुदायों के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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