रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘रक्षा सुधारों का वर्ष’ घोषित किया

भारत के रक्षा मंत्रालय ने 2025 को रक्षा सुधारों का वर्ष (Year of Defence Reforms) घोषित किया है, जिसका उद्देश्य देश की सैन्य क्षमताओं और ऑपरेशनल तत्परता में परिवर्तन लाना है। 1 जनवरी 2025 को घोषित इस पहल के तहत रक्षा बलों में दक्षता, समन्वय, और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत की जाएगी।

रक्षा सुधारों के प्रमुख क्षेत्र:

थिएटराइजेशन ऑफ कमांड्स (Theaterisation of Commands):

  • थल सेना, नौसेना और वायुसेना के संचालन को समन्वित करने के लिए एकीकृत थिएटर कमांड्स लागू करना।
  • थिएटराइजेशन योजना के अनुसार, प्रत्येक थिएटर कमांड में थल सेना, नौसेना और वायुसेना की यूनिट्स  शामिल होंगी, और ये सभी एक यूनिट के रूप में कार्य करेंगी, जो किसी निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का प्रबंधन करेंगी। वर्तमान में, थल सेना, नौसेना और वायुसेना के अलग-अलग कमांड हैं।
  • संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करते हुए निर्धारित भौगोलिक क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए क्षमताओं का एकीकरण।
  • अलग-अलग सेवा कमांड्स से एकीकृत ढांचे में बदलाव, जिससे संचालन दक्षता बढ़े।

रक्षा खरीद प्रक्रिया को व्यवस्थित करना:

  • रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल और तेज़ बनाना।
  • नौकरशाही से जुड़ी बाधाओं और संसाधनों के अलगाव को समाप्त करने के लिए हितधारकों के बीच गहन सहयोग को बढ़ावा देना।

नए डोमेन्स और प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना:

  • साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष ऑपरेशन्स जैसे नए युद्ध क्षेत्रों को प्राथमिकता देना।
  • रक्षा क्षमताओं का आधुनिकीकरण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, हाइपरसोनिक्स, और रोबोटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करना।

संसाधनों का बेहतर उपयोग:

  • भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को मजबूत करने के लिए संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना।
  • रक्षा संचालन और प्रबंधन में पारंपरिक इन-एफिशिएंसी (कम दक्षता) को समाप्त करना।

रक्षा निर्यात:

  • भारत को रक्षा उत्पादों के भरोसेमंद निर्यातक के रूप में स्थापित करना।
  • अनुसंधान और विकास (R&D) तथा भारतीय उद्योगों व विदेशी मूल-उपकरण निर्माताओं (OEMs) के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करना, ताकि ज्ञान साझा करने और संसाधन एकीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।

उपर्युक्त पहलों का महत्व:

  • ये सुधार 21वीं सदी के युद्धक्षेत्र (वारफेयर) की नई चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा तैयारियों और एक मजबूत प्रतिरोधात्मक स्थिति को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखते हैं।
  • तीनों सेवाओं की क्षमताओं के एकीकरण से भारत की पारंपरिक और गैर-पारंपरिक, दोनों प्रकार की चुनौतियों का त्वरित और प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता बढ़ेगी।
  • प्रौद्योगिकी और नए क्षेत्रों पर ध्या
error: Content is protected !!