स्वदेश में विकसित “लम्पी प्रो-वैक” वैक्सीन के वाणिज्यिक उत्पादन के लिये समझौता-ज्ञापन
गोट पॉक्स वैक्सीन (Goat Pox vaccine) तथा “लम्पी प्रो-वैक” (Lumpi-ProVac) वैक्सीन के उत्पादन के लिये नागपुर में 29 दिसंबर, 2022 को एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। समझौता-ज्ञापन से गोट पॉक्स वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन सुनिश्चित हो जायेगा, ताकि भारत के पशुधन सेक्टर की भावी जरूरतों को पूरा किया जा सके।
लम्पी-प्रोवैकइंड वैक्सीन
इस समय गोट पॉक्स वैक्सीन पशुओं में लम्पी चर्मरोग (Lumpy skin disease: LSD) को नियंत्रित करने के लिये इस्तेमाल की जाती है। यह वैक्सीन मवेशियों की लम्पी बीमारी में कारगर साबित हुई है।
राष्ट्रीय पशुचिकित्सा प्रारूप संवर्धन केंद्र-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Equines)-हिसार (हरियाणा) ICAR-NRCE भारतीय पशु-चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICAR-IVRI), इज्जतनगर, उत्तरप्रदेश के सहयोग से होमोलोगस लाइव-एटेनुएटेड लम्पी स्किन डिजीज वैक्सीन को विकसित किया है, जिसका नाम Lumpi-ProVacInd है।
लम्पी-प्रोवैकइंड का इस्तेमाल लम्पी चर्मरोग से लड़ने के लिये पशुओं के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है। इस टीके से साल भर का बचाव मिल जाता है।
लम्पी चर्मरोग (Lumpy skin disease: LSD)
लम्पी चर्मरोग (Lumpy skin disease: LSD) मवेशियों और भैंसों की एक संक्रामक वायरल बीमारी है, हालांकि पशुओं की मृत्यु दर कम होती है। यह मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता है।
लम्पी चर्मरोग की भारत में वर्ष 2019 से ही रिपोर्टें मिलती रही हैं। इसका पहला मामला ओडिशा में देखा गया था। इसके बाद यह देश के कई राज्यों में फैल गया।
वर्ष 2019 में विभिन्न राज्यों से मवेशियों के बड़े पैमाने पार मारे जाने की खबरें मिलीं, जिनमें सबसे ज्यादा नुकसान देश के उत्तर-पश्चिम इलाकों में हुआ था। देश में रोग पर रोकथाम और नियंत्रण उपलब्ध गोटपॉक्स वैक्सीन से किया जाता रहा है।