मणिपुर सरकार “सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO)” समझौते से हटने का फैसला किया है
मणिपुर सरकार ने 10 मार्च को मणिपुर में दो आदिवासी भूमिगत संगठनों; कुकी नेशनल आर्मी और जूमी रिवोल्यूशनरी फ्रंट के साथ हुए “सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (Suspension of Operations: SoO)” समझौते से हटने का फैसला किया है।
प्रमुख तथ्य
राज्य सरकार ने दावा किया कि धारा 144 को धता बताते हुए हाल ही में आयोजित एक विरोध रैली, दो समूहों; कुकी नेशनल आर्मी (KNA) और ज़ोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी (ZRA) से प्रभावित लग रही थी जो समझौता की भावना के खिलाफ है।
बता दें कि मणिपुर सरकार आरक्षित और संरक्षित वनों में अफीम के पौधों को नष्ट कर रही है और वहां बेस लोगों को बेदखल कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि अफीम के पौधों को बड़े पैमाने पर नष्ट करना और बेदखली, उपर्युक्त दोनों संगठनों को पसंद नहीं है।
गौरतलब है कि राजनीतिक संवाद शुरू करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ 22 अगस्त, 2008 को SoO समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इस समझौते की अवधि एक वर्ष है, हालांकि इसके कार्यान्वयन की प्रगति के अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है।
SoO समझौते के तहत, KNA और ZRF से जुड़े कई उग्रवादी सामने आ गए थे। हालांकि, केंद्र सरकार अभी बातचीत की टेबल पर नहीं आई है।
जहां नागा आंदोलन देश का सबसे लंबे समय तक चलने वाला विद्रोह है, वहीं भूमिगत कुकी समूहों ने भी मणिपुर में एक ‘स्वतंत्र कुकी मातृभूमि’ के लिए भारत सरकार से लड़ाई लड़ रही है।
1990 के दशक की शुरुआत में कुकी विद्रोह ने मणिपुर के नागाओं के साथ जातीय संघर्ष के बाद गति पकड़ी। नागा आक्रमण के खिलाफ कुकी ने खुद को तैयार किया।
मणिपुर में लगभग 30 कुकी विद्रोही समूह हैं, जिनमें से 25 संगठन भारत सरकार और राज्य के साथ त्रिपक्षीय “सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस” समझौते में शामिल रहे हैं।
17 अम्ब्रेला समूह कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KNA) के तहत हैं, और आठ यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के तहत हैं।