मैंगनीज एक्सपोजर

पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गंगा के मैदानी इलाकों में पानी में मैंगनीज (Mn) का प्रदूषण बिहार में कैंसर का कारण बन रहा है।

महावीर कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि कैंसर रोगियों के रक्त नमूनों में मैंगनीज की उच्च मात्रा पाई गई, जिसमें 6,022 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (µg/L) सबसे अधिक स्तर था (स्रोत: डाउन टू अर्थ)।

गंगा के मैदानी क्षेत्रों के मध्य भाग में कैंसर रोगियों के रक्त में मैंगनीज की सांद्रता के भू-स्थानिक विश्लेषण (geospatial analysis) से पता चला कि इस क्षेत्र में कैंसर के मामले काफी अधिक पाए गए।

मैंगनीज, अन्य तत्वों की तरह, पर्यावरण में टूटता नहीं है। यह केवल अपने रूप को बदल सकता है या कणों से जुड़ या अलग हो सकता है। यह तत्व उच्च खुराक में मनुष्यों के लिए विषाक्त माना गया है।

मैंगनीज के एक्सपोजर का मुख्य स्रोत भूजल से निकाला गया पीने का पानी है। जल प्रदूषण का कारण आमतौर पर औद्योगिक प्रदूषण (ह्यूमन गतिविधियों से), या मैंगनीज के तलछटी (sedimentary) या आग्नेय (igneous) चट्टानों में प्राकृतिक निक्षेप (geogenic) होता है।

मैंगनीज विषाक्तता (poisoning) के मामले विश्व स्तर पर बहुत कम दर्ज किए गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत में मैंगनीज विषाक्तता का पहला मामला 1957 में महाराष्ट्र के चिंचवड़ में मैंगनीज खनिकों के एक समूह में दर्ज किया गया था। 

मैंगनीज पृथ्वी पर पाया जाने वाला पांचवां सबसे प्रचुर धातु है, जो ऑक्साइड, कार्बोनेट और सिलिकेट के रूप में मौजूद होता है। यह प्राकृतिक रूप से भोजन, पानी, मिट्टी और चट्टानों में पाया जाता है।

यह एक “आवश्यक ट्रेस एलिमेंट्स” (essential trace element) है, जो शरीर की जैविक स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, अधिक मात्रा में इसका सेवन गंभीर विषाक्तता का कारण बन सकता है।

ट्रेस एलिमेंट्स (trace elements) वे रासायनिक तत्व होते हैं, जो मानव शरीर में बहुत ही कम अनुपात, आमतौर पर 0.1% से कम मात्रा में पाए जाते हैं।

दुनिया में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक देश दक्षिण अफ्रीका है। भारत में मैंगनीज अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक मोयल (MOIL) है, जो घरेलू उत्पादन का लगभग 45% योगदान देता है।

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