मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (MACE) टेलीस्कोप

मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (MACE) टेलीस्कोप जमीन पर स्थित गामा-रे टेलीस्कोप है जिसका उद्घाटन 4 अक्टूबर को लद्दाख के हानले  में किया गया। यह टेलीस्कोप समुद्र तल से लगभग 4.3 किमी ऊपर स्थित है।

यह दुनिया का सबसे ऊँचा इमेजिंग चेरेनकोव टेलीस्कोप है। इसमें 21 मीटर चौड़ी डिश है, जो एशिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी है।

इस सुविधा का निर्माण भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा किया गया।

MACE का मुख्य लक्ष्य 20 बिलियन eV से अधिक ऊर्जा वाली गामा किरणों  (Gamma rays) का अध्ययन करना है।

यह दूरबीन आकाशगंगा से परे ब्लैक होल के पास से निकलने वाली हाई एनर्जी गामा किरणों की जांच कर सकती है और जो बड़ी मात्रा में पदार्थ को पचा रही हैं।

बता दें कि विद्युत चुम्बकीय ( इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक) स्पेक्ट्रम में, गामा किरणों में सबसे छोटी तरंगदैर्ध्य (वेवलेंथ) और सबसे अधिक ऊर्जा होती है, जिसमें प्रत्येक प्रकाश-कण में 100,000 से अधिक इलेक्ट्रॉन वोल्ट होते हैं।

गामा किरणें ब्रह्मांड में बाहरी ऊर्जावान ऑब्जेक्ट्स द्वारा उत्पन्न होती हैं, जिनमें तेजी से घूमने वाले पल्सर, सुपरनोवा विस्फोट, ब्लैक होल के चारों ओर पदार्थ के हॉट व्हर्लपूल और गामा-रे बर्स्ट शामिल हैं।

अपनी उच्च ऊर्जा के कारण, गामा किरणें स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। वे जीवित कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और यहां तक ​​कि डीएनए में हानिकारक म्युटेशन भी पैदा कर सकते हैं।

पृथ्वी का वायुमंडल गामा किरणों को जमीन तक पहुंचने से रोकता है। इस प्रकार, खगोलविद जो गामा किरणों का उत्सर्जन करने वाले ऑब्जेक्ट्स का अध्ययन करना चाहते हैं, वे अंतरिक्ष वेधशालाओं का उपयोग करना पसंद करते हैं।

जब ब्रह्मांडीय स्रोत से गामा किरण वायुमंडल में प्रवेश करती है, तो यह हवा में अणुओं के साथ संपर्क करती है जिससे इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन जोड़े की प्रचुर बौछार होती है।

जैसे ही ये आवेशित कण वायु में प्रकाश की गति से अधिक गति से वायुमंडल में यात्रा करते हैं, वे एक नीली रोशनी उत्सर्जित करते हैं, जिसे चेरेनकोव विकिरण (Cherenkov radiation) कहा जाता है।

इस विकिरण में दृश्यमान स्पेक्ट्रम के बैंगनी और नीले प्रकाश और पराबैंगनी वेवलेंथ रेंज की तरंग दैर्ध्य होती है।

दरअसल चेरेनकोव विकिरण तब उत्पन्न होता है जब प्रोटॉन या इलेक्ट्रॉन जैसे विद्युत आवेशित कण पानी जैसे पारदर्शी माध्यम में प्रकाश की तुलना में तेजी से यात्रा करते हैं।

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