महाराष्ट्र सरकार ने सांगली में ‘आटपाडी कंजर्वेशन रिजर्व’ अधिसूचित किया
महाराष्ट्र सरकार ने सांगली जिले में ‘आटपाडी कंजर्वेशन रिजर्व’ (Atpadi Conservation Reserve) को एक नया संरक्षण रिजर्व घोषित किया है। राज्य सरकार ने वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36-A द्वारा प्रदत्त शक्तियों और उस संबंध में इसे सक्षम करने वाली अन्य सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए कंजर्वेशन रिजर्व को अधिसूचित किया।
नया रिजर्व क्षेत्र में भेड़ियों, सियार, लोमड़ियों और लकड़बग्घों के हैबिटैट को संरक्षित करने में मदद करेगा। आटपाडी संरक्षण रिजर्व मैनी संरक्षण क्षेत्र (Maini Conservation Area) को मधोक पक्षी अभयारण्य (Madhok Bird Sanctuary) के साथ जोड़ता है।
कंजर्वेशन रिजर्व
भारत में कंजर्वेशन रिजर्व’ और सामुदायिक रिजर्व भारत के संरक्षित क्षेत्रों (वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2002) को दर्शाते हैं, जो आम तौर पर स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और भारत के आरक्षित और संरक्षित जंगलों के बीच बफर जोन या कनेक्टर्स और माइग्रेशन कॉरिडोर के रूप में कार्य करते हैं।
इन कंजर्वेशन रिजर्व श्रेणियों से संबंधित प्रावधान पहली बार वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2002 में किया गया था। ये संशोधन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में किये गयी थे।
राज्य सरकार, स्थानीय समुदायों के साथ परामर्श करने के बाद, विशेष रूप से सरकार के स्वामित्व वाले किसी भी क्षेत्र को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित कर सकती है।
नेशनल पार्क और सैंक्चुअरी से सटे क्षेत्र और वे क्षेत्र जो एक संरक्षित क्षेत्र को दूसरे से जोड़ते हैं, में वनस्पतियों और जीवों और उनके हैबिटेट की रक्षा के लिए कंजर्वेशन रिजर्व अधिसूचित की जाती है।
राज्य सरकार मुख्य वन्यजीव वार्डन को संरक्षण रिजर्व के संरक्षण, प्रबंधन और रखरखाव के लिए सलाह देने के लिए एक संरक्षण रिजर्व प्रबंधन समिति का गठन करती है।
किसी व्यक्ति को मुख्य वन्य जीव वार्डन या अधिकृत अधिकारी द्वारा संरक्षित सीमा के भीतर रहने की अनुमति दी जा सकती है।
इस क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को किसी जंगली जानवर को छेड़ने या गंदगी फैलाने की अनुमति नहीं होती है। कोई भी व्यक्ति किसी कंजर्वेशन रिजर्व में रसायनों, विस्फोटकों या किसी अन्य पदार्थ का उपयोग नहीं करेगा जो ऐसे कंजर्वेशन रिजर्व में किसी भी वन्यजीव को चोट पहुंचा सकता है या खतरे में डाल सकता है।