लोक सभा ने बहुराज्‍य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया

लोक सभा ने 25 जुलाई 2023 को बहुराज्‍य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 (Multi-State Cooperative Societies (Amendment) Bill 2022) पारित कर दिया गया।

संशोधन विधेयक के प्रमुख प्रावधान

इस विधेयक में बहुराज्‍य सहकारी सोसाइटी में स्वतंत्र चुनाव करवाने के लिए निर्वाचन सुधार लागू करने के लिए निर्वाचन प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है जो लगभग निर्वाचन आयोग के बराबर शक्तिशाली होगा और इसमें सरकारी दखल नहीं होगा।

इसके अलावा, अगर निदेशक मंडल की एक-तिहाई संख्या खाली हो जाती है तो फिर चुनाव करवाने की व्यवस्था की गई है। साथ ही, बोर्ड की बैठकों में अनुशासन, सहकारी समितियों के कार्यकलाप सुचारू रूप से चलाने के भी प्रावधान इसमें हैं।

समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को 3 महीने में बोर्ड मीटिंग बुलानी आवश्यक होगी। सहकारी समिति के शासन में पारदर्शिता लाने के लिए इक्विटी शेयरधारक को बहुमत का प्रावधान रखा गया है।

इस विधेयक में समितियों में एक अनुसूचित जाति, या अनुसूचित जनजाति और एक महिला को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है जिससे समितियों में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।

विभिन्न संवैधानिक अपेक्षाओं का अनुपालन ना करने पर बोर्ड के सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में किसी के भी ब्लड रिलेशन या डिस्टेंट रिलेशन में नौकरी नही दी जा सकेगी।

इस विधेयक में सूचना के अधिकार को भी शामिल किया गया है।

भारत में सहकारिता आंदोल

भारत में सहकारिता आंदोलन लगभग 115 साल पुराना है और इस आंदोलन ने कई महत्वपूर्ण उपक्रम देश को दिए हैं जो आज लाखों लोगों को रोज़गार दे रहे हैं, जैसे अमूल, कृभको, इफ्को।

संविधान के तहत सहकारी समितियाँ राज्य का विषय हैं, अर्थात वे राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, लेकिन कई समितियाँ हैं जिनके सदस्य और संचालन क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में फैले हुए हैं।

उदाहरण के लिए, कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा पर जिलों की अधिकांश चीनी मिलें दोनों राज्यों से गन्ना खरीदती हैं।

मौजूदा कानून -बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम (एमएससीएस) 2002 – बहु राज्यीय सहकारी सोसाइटी के प्रबंधन के लिए तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था।

एक से अधिक राज्यों की सहकारी समितियाँ MSCS अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं।

उनके निदेशक मंडल में उन सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है जहां वे काम करते हैं।

इन सोसायटियों का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास है, कानून यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी उन पर कोई नियंत्रण नहीं रख सकता है।

पहले, सहकारिता कृषि मंत्रालय के अधीन एक विभाग था। हालाँकि, 6 जुलाई 2021 को सरकार ने एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया और अमित शाह देश के पहले सहकारिता मंत्री बने। मंत्रालय का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, उन्होंने एक नई राष्ट्रीय सहकारी नीति लाने की घोषणा की।

संविधान (97वां संशोधन अधिनियम), 2011 भारत में सहकारी समितियों के लिए प्रावधान करता है। संशोधन ने सहकारी समितियों को कानूनी दर्जा और सुरक्षा प्रदान की। इस संशोधन के माध्यम से संविधान में भाग IXB जोड़ा गया।

सहकारिता को मज़बूत करने के लिए 3 नई बहुराज्यीय सोसायटी बनाने का निर्णय लिया। पहली सोसायटी, किसान की उपज को निर्यात करने के प्लेटफार्म के रूप में काम करेगी। दूसरी सोसायटी, बीजों के उत्पादन के साथ छोटे किसानों को जोड़ेगी और इससे 1 एकड़ भूमि वाले किसान भी बीज उत्पादन के साथ जुड़ सकेंगे। तीसरी सोसायटी, ऑर्गेनिक खेती के उत्पादों की देश औऱ दुनिया में मार्केटिंग कर किसानों को उनकी उपज का उचित दाम दिलाएगी।

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