संसद की आचार समिति

लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की एक सांसद के खिलाफ प्राप्त शिकायत की जांच सदन की आचार समिति (House Ethics Committee) को भेज दिया है।

आचार समिति के बारे में

भारत में किसी भी विधायिका द्वारा गठित पहली आचार समिति समिति राज्यसभा की थी जिसका गठन 4 मार्च 1997 को राज्यसभा के सभापति ने की थी। इसका गठन सदस्यों के एथिकल और मोरल आचरण की निगरानी की जा सके और इसके संदर्भ में सदस्यों के नैतिक और अन्य कदाचार से सम्बंधित मामलों की जांच की जा सके।

13वीं लोकसभा के अध्यक्ष (स्वर्गीय श्री जी.एम.सी. बालयोगी) ने 16 मई, 2000 को लोकसभा में पहली आचार समिति का गठन किया था।

आचार समिति सदन की एक तदर्थ समिति है। लोकसभा आचार समिति में अध्यक्ष द्वारा नामांकित 15 सदस्य होते हैं।

समिति का कार्यकाल एक वर्ष है।

इसका कार्य लोकसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए किसी सदस्य के अनैतिक आचरण से संबंधित प्रत्येक शिकायत की जांच करना और ऐसी सिफारिशें करना है जो वह उचित समझे और सदस्यों के लिए एक आचार संहिता तैयार करना और समय – समय पर आचार संहिता में संशोधन का सुझाव देना है। ।

कोई भी व्यक्ति किसी अन्य लोकसभा सांसद के माध्यम से किसी सदस्य के खिलाफ कदाचार के सभी सबूतों और एक हलफनामे के साथ शिकायत कर सकता है।

एक सदस्य भी किसी अन्य सदस्य के खिलाफ बिना किसी शपथ पत्र के सबूत के साथ शिकायत दर्ज कर सकता है।

अध्यक्ष किसी सांसद के खिलाफ कोई भी शिकायत समिति को भेज सकते हैं।

समिति किसी शिकायत की जांच करने का निर्णय लेने से पहले प्रथम दृष्टया जांच करती है और शिकायत की समीक्षा के बाद अपनी सिफारिशें करती है।

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