आइंस्टीन प्रोब ऑप्टिक्स का डिज़ाइन लॉबस्टर की आंखों से क्यों प्रेरित है?

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (CAS) ने एक्स-रे स्काई का निरीक्षण करने के अपने मिशन के तहत  9 जनवरी, 2024 को आइंस्टीन प्रोब (Einstein Probe ) लॉन्च किया। इसे चीन के ज़िचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से चांग झेंग (लॉन्ग मार्च) 2C रॉकेट पर लॉन्च किया गया था।

आइंस्टीन प्रोब आकाश का सर्वेक्षण करेगी और न्यूट्रॉन स्टार्स और ब्लैक होल जैसी रहस्यमय वस्तुओं से एक्स-रे प्रकाश के बर्स्ट की खोज करेगी। आइंस्टीन प्रोब CAS के नेतृत्व में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल फिजिक्स (एमपीई) के मध्य  एक सहयोग है।

आइंस्टीन प्रोब में दो इंस्ट्रूमेंट्स हैं जो एक साथ आकाशीय क्षेत्र का विस्तृत और संवेदनशील दृश्य प्रदान करते हैं। ये इंस्ट्रूमेंट्स हैं: वाइड-फील्ड एक्स-रे टेलीस्कोप (WXT) और फॉलो-अप एक्स-रे टेलीस्कोप (FXT)।

WXT के ऑप्टिक्स का डिज़ाइन लॉबस्टर की आंखों (eyes of lobsters) से प्रेरित है। एक मॉड्यूलर लेआउट में, यह सैकड़ों हजारों स्क्वायर फाइबर का उपयोग करता है जो डिटेक्टर्स  पर प्रकाश डालते हैं। यह आइंस्टीन प्रोब को एक नज़र में आकाशीय क्षेत्र के लगभग दसवें हिस्से का निरीक्षण करने की यूनिक क्षमता प्रदान करता है।

एक्स-रे उन आकाशीय पिंडों से उत्सर्जित होते हैं जो अत्यधिक गर्म होते हैं। खगोलशास्त्री ब्लैक होल, आकाशगंगा समूहों, विस्फोटित तारों और अन्य उच्च-ऊर्जा घटनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए X-rays का अध्ययन करते हैं जो लंबे समय से छिपी हुई हैं

आगे बढ़ते हुए, लॉबस्टर आंख से प्रेरित तकनीक वैज्ञानिकों को लंबे समय तक विभिन्न एक्स-रे स्रोतों का निरीक्षण करने और वे कैसे बदलते हैं इसकी बेहतर समझ प्राप्त करने की अनुमति दे सकती है।

गौरतलब है कि  लॉबस्टर के पास विशेष आंखें होती हैं जो कम रोशनी वाले वातावरण में गति (मोशन) को महसूस कर सकती हैं। उनकी अनूठी संरचना की नकल करके, वैज्ञानिक भटके हुए एक्स-रे को कैप्चर करने के उद्देश्य से पृथ्वी की कक्षा के बाहर के मिशनों के लिए दृश्य उपकरण या प्रकाशिकी का निर्माण कर सकते हैं।

लॉबस्टर ने समुद्र की सतह से लगभग 2,300 फीट नीचे स्थित अपने अंधेरे, गंदे हैबिटेट में देखने के लिए विशेष आंखें विकसित कर ली हैं। हालाँकि वे इमेज को अच्छी तरह से नहीं देख सकती हैं, लेकिन ये संवेदन गति (sensing motion) को पकड़ने में उत्कृष्ट हैं

मनुष्यों के विपरीत, जिनकी आँखों में गोलकार लेंस होते हैं जो प्रकाश को अपवर्तित ( refract light) करते हैं,लॉबस्टर की आँखें प्रतिबिंब पर निर्भर (depend on reflection) करती हैं।

उनकी प्रत्येक दो आँखों में 10,000 चौकोर आकार की नलिकाएँ होती हैं जो एक साथ पैक होती हैं।

प्रत्येक ट्यूब एक सपाट, परावर्तक सतह से बनी होती है जो आने वाली रोशनी को रेटिना तक निर्देशित करने के लिए दर्पण की तरह काम करती है

ये छोटी कोशिकाएँ प्रकाश को फँसा सकती हैं – यहाँ तक कि अंधेरे में भी – और इसे आँख में फोटोरिसेप्टर की एक परत पर केंद्रित कर सकती हैं। यह सेटअप मनुष्यों की 120-डिग्री दृष्टि की तुलना में झींगा मछलियों को पूर्ण 180-डिग्री दृश्य प्रदान करता है।

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