कृषि खाद्य प्रणालियों (Agri-food systems) में महिलाओं की स्थिति रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने हाल ही में “कृषि खाद्य प्रणालियों में महिलाओं की स्थिति” (The status of women in agrifood systems) शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

यह रिपोर्ट, जो 2010 के बाद से अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, कृषि से अलग कृषि खाद्य प्रणालियों (agrifood systems) में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति की एक व्यापक तस्वीर प्रदान करती है- उत्पादन से लेकर वितरण और खपत तक

इसमें कहा गया है कि कृषि खाद्य प्रणालियों में लैंगिक असमानताओं से निपटने और महिलाओं को सशक्त बनाने से हंगर कम होती है, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है और जलवायु परिवर्तन तथा COVID-19 महामारी जैसे संकटों का सामना करने में मदद मिलती है।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि विश्व स्तर पर 36 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं, 38 प्रतिशत कामकाजी पुरुषों के साथ कृषि खाद्य प्रणालियों में कार्यरत हैं।

हालांकि, महिलाओं की भूमिका हाशिए पर होती है और उनके काम करने की स्थिति पुरुषों की तुलना में अनियमित, अनौपचारिक, कम समय के लिए, कम-कौशल वाली, या अधिक श्रम वाली होती है।

इसी तरह, कृषि में मजदूरी रोजगार में लगी महिलाएं पुरुषों द्वारा कमाए जाने वाले प्रत्येक डॉलर की तुलना में 82 सेंट कमाती हैं

महिलाओं के पास जमीन का मालिकाना हक़ कम है, ऋण और प्रशिक्षण तक कम पहुंच है, और उन्हें पुरुषों के लिए डिज़ाइन की गई तकनीक के साथ काम करना पड़ता है

भेदभाव के साथ-साथ, ये असमानताएँ समान आकार के खेतों पर महिला और पुरुष किसानों के बीच उत्पादकता में 24 प्रतिशत का लैंगिक अंतर पैदा करती हैं।

विशेष रूप से, यह रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि कई देशों में कृषि खाद्य प्रणालियां पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए आजीविका का अधिक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उदाहरण के लिए, उप-सहारा अफ्रीका में 60 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 66 प्रतिशत महिलाओं का रोजगार इस क्षेत्र में है

दक्षिणी एशिया में, महिलाएं कृषि खाद्य प्रणालियों में भारी मात्रा में काम करती हैं (71 प्रतिशत महिलाएं, बनाम 47 प्रतिशत पुरुष), हालांकि पुरुषों की तुलना में कम महिलाएं श्रम शक्ति (लेबर फोर्स) में हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक कृषि उत्पादकता में लैंगिक अंतर और कृषि रोजगार में मजदूरी के अंतर को समाप्त करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि होगी और खाद्य-असुरक्षित लोगों की संख्या में 45 मिलियन की कमी आएगी।

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