‘लद्दाख सी बकथॉर्न’ को मिला GI टैग

भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री ने आधिकारिक तौर पर ‘लद्दाख सी बकथॉर्न’ (Ladakh Sea Buckthorn) को GI टैग प्रदान कर दिया है। भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन संचालित होती है।

सी बकथॉर्न लद्दाख की सबसे अधिक लाभदायक फसल में से एक है, जिसका 90% उत्पादन भारत के लद्दाख में होता है। यह लद्दाख का चौथा GI टैग उत्पाद है। इससे पहले, लद्दाख के खुबानी एप्रीकॉट (रकत्से कारपो), पश्मीना और लद्दाखी काष्ठ नक्काशी को जीआई टैग प्राप्त हो है चुका है।

सी-बकथॉर्न’/sea buckthorn (Hippophae rhamnoides) Elaegnaceae परिवार से संबंधित एक पर्णपाती झाड़ी है।

यह झाड़ी दुनिया के समशीतोष्ण क्षेत्रों में मुख्य रूप से मंगोलिया, चीन, तिब्बत, रूस, कनाडा, भारत, पाकिस्तान और नेपाल में प्राकृतिक विकास का परिणाम है।

इसका पौधा कठोर होता है और यह -43ºC से 40ºC तक अत्यधिक तापमान का सामना कर सकता है और इसे सूखा सहिष्णु (drought tolerant) भी माना जाता है।

सीबकथॉर्न बेरी सभी फलों में सबसे अधिक पौष्टिक होते हैं।

फल का रस चीनी, कार्बनिक अम्ल, अमीनो एसिड, आवश्यक फैटी एसिड, फाइटोस्टेरॉल, फ्लेवोनोइड्स, विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर होता है।

पौधे को घोड़ों के उपचार के रूप में जाना जाता है।

देश में सीबकथॉर्न के तहत कुल क्षेत्रफल (13,000 हेक्टेयर) के 70% से अधिक लद्दाख में है जो प्राकृतिक सीबकथॉर्न संसाधन के लिए प्रमुख स्थल बना हुआ है।

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