केरल ने “मानव-वन्यजीव संघर्ष” को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित किया

केरल ने 6 मार्च 2024 को मानव-वन्यजीव संघर्ष (man-animal conflict) को राज्य-विशिष्ट आपदा (state-specific disaster) घोषित किया। ऐसा करने वाला केरल देश का पहला राज्य है।

वर्तमान में, मैन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट का प्रबंधन राज्य की वन विभाग की जिम्मेदारी है, जो वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम के अनुसार कार्य करता है।

बता दें कि एक बार जब कि इस समस्या को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित कर दिया जाता है, तो इससे निपटने की जिम्मेदारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (state disaster management authority) पर आ जाती है, जो आपदा प्रबंधन अधिनियम द्वारा संचालित होकर, त्वरित और अधिक निर्णायक कार्रवाई कर सकता है।

राज्य स्तर पर, मुख्यमंत्री राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होते हैं, और वन विभाग सहित कई विभाग स्टेकहोल्डर होते हैं। जिलों में, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अध्यक्षता जिला कलेक्टर करता है, जो एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट भी होता है।

एक बार जब किसी मुद्दे को राज्य-विशिष्ट आपदा या राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया जाता है, तो आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अन्य सभी मानदंडों को दरकिनार करते हुए त्वरित निर्णय और कार्रवाई कर सकता है

साथ ही, जिला कलेक्टर जिला आपदा प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में अपनी क्षमता में सीधे कदम उठा सकता है।

वर्तमान में, मुख्य वन्यजीव वार्डन (chief wildlife warden)  मानव बस्तियों में कहर बरपाने वाले जंगली जानवर पर निर्णय लेने का एकमात्र अधिकारी होता है। प्रत्येक राज्य में ऐसा केवल एक ही पद होता है।

2015 में, ओडिशा ने सर्पदंश को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित किया था। 2020 में, केरल ने कोविड को राज्य विशिष्ट आपदा घोषित किया। इसके अलावा, 2019 में हीट वेव, सनबर्न और सनस्ट्रोक, 2017 में मिट्टी की पाइपिंग की घटना और 2015 में बिजली गिरने और तटीय कटाव को भी राज्य विशिष्ट आपदा घोषित किया गया है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले में अनुग्रह भुगतान राशि में वृद्धि की है। जंगली जानवरों के कारण इंसानों की मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में अब मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है।

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