इटली चीन की “बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पहल (BRI)” से बाहर हुआ

इटली औपचारिक रूप से चीन की “बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पहल (Belt and Road infrastructure initiative: BRI)” से हट गया है। BRI पर हस्ताक्षर करने वाला इटली एकमात्र G7 राष्ट्र था। यूरोपीय संघ, G7 और NATO के सदस्य इटली ने 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे की सरकार के तहत इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह सौदा मार्च 2024 में स्वतः नवीनीकृत होने वाला था, जब तक कि इटली इस वर्ष के अंत तक बाहर न निकल जाए।

चीन के अनुसार, उसने दुनिया भर में दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक के कॉन्ट्रैक्ट किए हैं, जिसमें दक्षिण पूर्व एशिया में हाई-स्पीड रेल ट्रैक और मध्य एशिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर परिवहन, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य शामिल हैं।  

BRI के पैरोकारों ने ग्लोबल साउथ में संसाधन और आर्थिक विकास लाने के लिए इस परियोजना की सराहना की  है – लेकिन कई विशेषज्ञों ने गरीब देशों पर भारी कर्ज का बोझ डालने के लिए इसकी आलोचना भी की है।

बेल्ट एंड रोड पहल से बाहर निकलने का इटली का निर्णय बदलते भू-राजनीतिक विचारों और इटली की अर्थव्यवस्था पर परियोजना के सीमित प्रभाव से प्रभावित लगता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इटली की अर्थव्यवस्था में निर्यात में बढ़ोतरी सीमित रही। रिपोर्ट के अनुसार, BRI में शामिल होने के बाद इटली का चीन को निर्यात 14.5 बिलियन यूरो से बढ़कर 18.5 बिलियन यूरो हो गया, लेकिन चीन के लिए यह संख्या काफी बेहतर है क्योंकि इटली को इसका निर्यात 33.5 बिलियन यूरो से बढ़कर 50.9 बिलियन यूरो हो गया है।

चीन के साथ हुए इस गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन में लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांचे, वित्तीय और पर्यावरण क्षेत्रों में सहयोग के लिए व्यापक प्रयास शामिल थे।  

चीन ने अंतरमहाद्वीपीय पैमाने पर कनेक्टिविटी और सहयोग में सुधार के लिए 2013 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का प्रस्ताव रखा।

भारत ने इस परियोजना का लगातार विरोध किया है क्योंकि इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है। 

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