इसरो ने PSLV-C58 XPoSat मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 1 जनवरी, 2024 को एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPOSAT) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
XPOSAT के बारे में
XPOSAT उपग्रह को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष पोर्ट से PSLV-C58 से लॉन्च किया गया।
XPOSAT मिशन का उद्देश्य विभिन्न आकाशीय स्रोतों से उत्पन्न होने वाले एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित पोलराइजेशन का पता लगाना और समझना है।
XPoSat आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित पोलराइजेशन माप में अनुसंधान करने वाला इसरो का पहला डेडिकेटेड वैज्ञानिक उपग्रह है।
इसमें दो महत्वपूर्ण पेलोड POLIX (पोलारिमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्स-रे) और XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग) हैं।
XPoSAT के सफल प्रक्षेपण से भारत एक विशिष्ट श्रेणी में शामिल हो गया है। भारत ब्लैक होल, न्यूट्रॉन स्टार जैसे खगोलीय स्रोतों का अध्ययन करने के लिए ऑब्जर्वेटरी भेजने वाला दूसरा देश बन गया है।
PSLV ने स्टार्ट-अप, शैक्षणिक संस्थानों और इसरो केंद्रों द्वारा विकसित 10 पेलोड भी लॉन्च किए।
XPoSAT के दो पेलोड
POLIX: इसे रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई), बैंगलोर और यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) द्वारा विकसित किया गया है। इसकी प्राथमिक भूमिका विभिन्न खगोलीय स्रोतों से पोलारिमेट्री मापदंडों (पोलराइजेशन की डिग्री और कोण) को मापना है।
XSPECT: यह स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करता है और सॉफ्ट एक्स-रे में उच्च गुणवत्ता वाले स्पेक्ट्रोस्कोपिक रिज़ॉल्यूशन के साथ फ़ास्ट टाइमिंग को सक्षम बनाता है। यह स्पेक्ट्रल स्थिति परिवर्तनों, लाइन फ्लक्स विविधताओं और सॉफ्ट एक्स-रे उत्सर्जन की अस्थायी निगरानी की दीर्घकालिक निगरानी की सुविधा प्रदान करके POLIX का पूरक के रूप में काम करेगा।
पोलारिमेट्री क्या है?
पोलारिमेट्री, प्रकाश के पोलराइजेशन को मापने की एक तकनीक है।
पोलारिमेट्री एक शक्तिशाली इंस्ट्रूमेंट है जो खगोलविदों को धूमकेतुओं से लेकर सुदूर आकाशगंगाओं जैसे खगोलीय पिंडों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सहायक है, जिसे अन्य तकनीकों का उपयोग करके प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
पोलराइजेशन क्या है?
पोलराइजेशन (Polarisation) इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में सभी वेवलेंथ में दिखाई देने वाला प्रकाश का एक गुण है। यह कुछ ऐसा है जिससे हम वास्तविक दुनिया में कहीं अधिक परिचित हैं। उदाहरण के लिए, पोलेराइज़्ड सनग्लास, लाइट को फ़िल्टर करके चमकदार सतहों से चमक को कम करता है।
सूर्य और अन्य तारों से आने वाला प्रकाश पोलेराइज़्ड नहीं होता है क्योंकि यह सभी दिशाओं में दोलन करता है। कुछ स्रोत, जैसे मोबाइल फ़ोन और टेलीविज़न की स्क्रीन, पोलेराइज़्ड प्रकाश उत्सर्जित करते हैं – वह प्रकाश जिसमें दोलन (oscillation) की पसंदीदा दिशा होती है।
रोटेटेड पोलेराइज़्ड सनग्लास के माध्यम से इन स्क्रीनों को देखने पर स्क्रीन काली दिखाई देगी, क्योंकि चश्मा गलत दिशा में प्रकाश के दोलन को रोक देगा।
पोलारिमेट्रिक माप खगोलविदों को किसी वस्तु के बारे में उसकी चमक को मापने से कहीं अधिक जानने की अनुमति देता है।