इसरो के अध्ययन में हिमालय में बढ़ते एरोसोल स्तर और ग्लेशियर के पिघलने को रेखांकित किया

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हिमालय में ग्लेशियरों का पिघलना एरोसोल के बढ़ते स्तर (aerosol levels) से तेजी से प्रभावित हो रहा है। एरोसोल के बढ़ते स्तर के लिए प्राकृतिक और मानव जनित, दोनों कारक भूमिका निभाते हैं।

दिसंबर 2023 में, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में इन कारकों पर विचार करने और ग्लेशियर पिघलने की बढ़ती दर को कम करने के लिए प्रभावी उपायों की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला।

गौरतलब  है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा भारत-गंगा के मैदान (IGP) और हिमालय की तलहटी में किए गए एक अध्ययन में एरोसोल प्रदूषण (aerosol pollution) के ऊंचे स्तर का पता चला, जो तापमान, वर्षा पैटर्न और ग्लेशियर पिघलने को प्रभावित कर रहा है।

अध्ययन ने ब्लैक कार्बन (black carbon) एरोसोल की पहचान की, जो 75% से अधिक अवशोषण के लिए जिम्मेदार है, इस तरह यह उपर्युक्त घटनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

एरोसोल निचले वायुमंडलीय में वार्मिंग के लिए 50% से अधिक जिम्मेदार है, और भारत के काम्प्लेक्स  एयरोसोल उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एरोसोल, हवा में निलंबित छोटे ठोस या तरल कण हैं।  इसके प्राकृतिक स्रोत हैं; धूल भरी आंधी, समुद्री स्प्रे और ज्वालामुखी विस्फोट।

एरोसोल उत्सर्जन के मानव जनित स्रोत हैं; औद्योगिक गतिविधियां, वाहनों से उत्सर्जन और कृषि गतिविधियां।

वायु गुणवत्ता: ऊंचे एरोसोल स्तर से वायु गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे प्रदूषित हवा के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के लिए हेल्थ रिस्क और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

जलवायु प्रभाव: एरोसोल सूर्य के प्रकाश को बिखेरने और अवशोषित करने के साथ-साथ बादल निर्माण को प्रभावित करके पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करते हैं। एरोसोल स्तर में परिवर्तन से क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु प्रभाव हो सकते हैं।

विजिबिलिटी: उच्च एयरोसोल सांद्रता विजिबिलिटी को कम कर सकती है, ट्रांसपोर्ट को प्रभावित कर सकती है और ड्राइवरों, पायलटों और अन्य ऑपरेटरों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है।

पर्यावरणीय प्रभाव: बढ़ा हुआ एरोसोल स्तर इकोसिस्टम को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, पौधों के जीवन, जलीय प्रणालियों और समग्र पर्यावरणीय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

मौसम का पैटर्न: एरोसोल बादलों के गुणों और वर्षा को प्रभावित करके मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं। एरोसोल स्तर में परिवर्तन का स्थानीय और क्षेत्रीय मौसम स्थितियों पर प्रभाव पड़ सकता है।

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