Cape Town Convention: कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल इंटरेस्ट इन मोबाइल इक्विपमेंट
हाल ही में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने लो-कॉस्ट एयरलाइन गो फर्स्ट की वॉलंटरी इन्सॉल्वेंसी समाधान कार्यवाही और अपने ऑब्लिगेशन (कर्ज) पर रोक लगाने के लिए तत्काल याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।
इस मामले पर विमान को पट्टा (लीज) पर देने वाली कंपनियों ने त्वरित कदम उठाया है और वाडिया समूह एयरलाइन को पट्टे पर दिए गए 20 विमानों का पंजीकरण रद्द करने और वापस लेने की मांग की है। इन लोगों ने अपने इरेवोकेबल डीरजिस्ट्रेशन एंड एक्सपोर्ट रिक्वेस्ट ऑथराइजेशन (Irrevocable Deregistration and Export Request Authorisation: IDERA) का उपयोग करके नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) के पास आवेदन दाखिल करके विमान वापस लेने की मांग की है।
इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की धारा 10 के तहत गो फर्स्ट की याचिका को स्वीकार करने से डिबेटर यानी एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट को पट्टे पर दी गई एसेट्स की वसूली पर तत्काल और पूर्ण रोक लग जाती, जिससे पट्टेदारों के लिए अपने विमान को फिर से हासिल करना बेहद मुश्किल हो जाता।
कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल इंटरेस्ट इन मोबाइल इक्विपमेंट
इरेवोकेबल डीरजिस्ट्रेशन एंड एक्सपोर्ट रिक्वेस्ट ऑथराइजेशन (IDERA), पट्टेदारों को अपने विमान को उस देश की रजिस्ट्री से अपंजीकृत करने का अधिकार देता है जहां विमान पट्टे पर लेने वाली कंपनी स्थित है।
इस अधिकार के तहत लीज से जुड़े पेमेंट में डिफॉल्ट होने पर विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियां विमान को उड़ाकर अपने देश ले जा सकते हैं।
कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल इंटरेस्ट इन मोबाइल इक्विपमेंट (Convention on International Interests in Mobile Equipment), जिसे आमतौर पर केपटाउन कन्वेंशन (Cape Town Convention: CTC) के रूप में जाना जाता है, का उद्देश्य विमान पट्टे पर लेने वालों के डिफॉल्ट होने की स्थिति में विमान पट्टे पर देने वालों के हितों की रक्षा करना है।
केपटाउन कन्वेंशन के अनुसार, पट्टेदार (lessor) IDERA के प्रावधान का का उपयोग करते हुए एयरलाइन की सहमति के बिना विमान के अपंजीकरण और निर्यात की मांग कर सकता है।
एयरलाइन कंपनी (पट्टे पर लेने वाली कम्पनी) के पास, विमान पट्टे पर देने वाले की सहमति की बिना पट्टेदार के IDERA अधिकारों को रद्द करने की कोई शक्ति नहीं है।
इस कन्वेंशन का उद्देश्य विमान पट्टे पर देने वालों को राहत प्रदान करते हुए विमान पट्टे पर देने के कार्य की दक्षता को सरल बनाना और सुधारना है ताकि उनकी एसेट (विमान) कानूनी मुद्दों के कारण लंबी अवधि के लिए अटक न जाए। हालांकि भारत ने 2008 में CTC की पुष्टि की थी, लेकिन भारत के कानूनी ढांचे में इसे शामिल करने का काम प्रगति पर है।