किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान : बाटकेन, ओश और फ़रगना घाटी हिंसक संघर्ष
सितंबर 2022 में किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान (Kyrgyzstan and Tajikistan) के बीच हिंसक सीमा संघर्षों में लगभग 100 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। रूस की मध्यस्थता से युद्धविराम पर 16 सितंबर को सहमति बनी ।
संघर्ष की क्या वजह है?
बता दें कि किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसका एक बड़ा हिस्सा विवादित है। अतीत में भी जल और भूमि संसाधनों के बंटवारे को लेकर संघर्ष भड़क उठे हैं।
किर्गिस्तान के बाटकेन क्षेत्र (Batken region) में परिवारों को बाहर ले जाया जा रहा है और स्थानांतरित किया जा रहा है। किर्गिस्तान के आपातकालीन स्थिति मंत्रालय के अनुसार, बाटकेन क्षेत्र की 5,50,000 विषम आबादी में से करीब 1,50,000 लोग या तो क्षेत्र से भाग गए हैं या राज्य द्वारा स्थानांतरित कर दिए गए हैं।
किर्गिस्तान की ओश (Osh) क्षेत्र में स्थिति अलग नहीं है। सेना की अधिक तैनाती ने भी सीमाओं पर तनाव को बढ़ाया है।
ये संघर्ष सोवियत काल से पहले और बाद की पुरानी विरासतों को दोहरा रहे हैं। जोसेफ स्टालिन के नेतृत्व में दो गणराज्यों की सीमाओं का सीमांकन किया गया था।
ऐतिहासिक रूप से, किर्गिज़ और ताजिक आबादी को प्राकृतिक संसाधनों पर समान अधिकार प्राप्त थे। सीमा के परिसीमन का मुद्दा सोवियत काल से लंबित है। हालांकि नियमित वार्ताओं द्वारा इस मुद्दे को हल करने की कोशिश की जाती रही है लेकिन सहमति नहीं बन पाई है।
दोनों देशों के बीच करीब एक हजार किलोमीटर की सीमा का लगभग आधा हिस्सा विवादित है।
फ़रगना घाटी (Ferghana valley) संघर्ष और लगातार हिंसक विस्फोटों का स्थल बना हुआ है, जिसमें मुख्य रूप से ताजिक, किर्गिज़ और उज़बेक शामिल हैं, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से साझा सामाजिक विशिष्टताओं, आर्थिक गतिविधियों और धार्मिक प्रथाओं को साझा किया है।
सोवियत संघ के पतन के साथ ही जल और भूमि पर मौजूद समझौते भी समाप्त हो गए और दोनों देशों में कई छोटे स्वतंत्र खेतों का निर्माण देखा, जिससे किसानों के बीच पानी की खपत के पैटर्न में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। दोनों देश कई नहरों को साझा करते हैं। इस वजह से महत्वपूर्ण सिंचाई अवधि के दौरान व्यावहारिक रूप से हर साल छोटे पैमाने पर संघर्ष होते रहे हैं।