FATF ने संयुक्त अरब अमीरात को ग्रे-लिस्ट से बाहर किया

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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स  (FATF) ने 24 फरवरी 2024 को संयुक्त अरब अमीरात ग्रे सूची से बाहर कर दिया। UAE द्वारा वित्तीय प्रणाली में किये गए सुधार के बाद ऐसा किया गया है। इसे लगभग दो साल पहले ग्रे लिस्ट में शामिल किया था।

यह भारतीय NBFCs में  के लिए अच्छी खबर है क्योंकि वहां से कई इच्छुक  निवेशकों के लिए NBFCs में  निवेश का राह आसान करेगा।

2021 में आरबीआई के एक सर्कुलर में कहा गया था कि FATF के नियमों का उल्लंघन  करने  देशों से भारत की NBFC में निवेश को वैसे देशों के निवेश के समान नहीं माना जाएगा जो नियमों का पालन करते हैं।  

पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे तेल समृद्ध देश UAE  ने मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी और आतंकवाद की फाइनेंसिंग से निपटने के लिए अपने गवर्नेंस को मजबूत किया है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाली संस्था है।

यह अंतरराष्ट्रीय मानक तय करता है जिसका उद्देश्य ऐसे अवैध गतिविधियों और उनसे समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है।

39 सदस्यीय FATF (भारत सहित) यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है कि देशों की राष्ट्रीय संस्थाएं नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध हथियारों के व्यापार, साइबर धोखाधड़ी और अन्य गंभीर अपराधों से जुड़े अवैध धन के खिलाफ प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें।

FATF की स्थापना 1989 में हुई थी और यह पेरिस में स्थित है। इसकी ब्लैक लिस्ट में ऐसे देश हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी और आतंकवाद की फाइनेंसिंग से निपटने के लिए कार्रवाई नहीं करते हैं।

वर्तमान में इस सूची में डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ईरान और म्यांमार शामिल हैं।

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