अदालत के फैसले के बाद न्यूजीलैंड मतदान की उम्र घटाकर 16 वर्ष करने के लिए विधेयक लाएगा
न्यूज़ीलैंड के सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर को फैसला सुनाया कि मतदान करने की वर्तमान न्यूनतम 18 वर्ष की आयु संबंधी कानून इससे कम आयु के युवाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
न्यायलय का यह निर्णय“मेक इट 16” नामक एक समूह द्वारा दायर एक याचिका के बाद आया है। याचिका में तर्क दिया गया था कि युवाओं को जलवायु संकट जैसे मुद्दों पर मतदान करने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि ये मुद्दे उनके भविष्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।
मुख्य तथ्य
इस निर्णय के बाद सरकार को मताधिकार की न्यूनतम आयु घटाकर 16 वर्ष करने के लिए संसद में विधेयक लाने पर मजबूर कर दिया है।
हालांकि यह निर्णय अपने आप मतदान के अधिकार की गारंटी नहीं देता है -क्योंकि इस संबंध में केवल संसद नियम बना सकती है – लेकिन इसका मतलब यह जरूर है कि जब तक कानून नहीं बनता है तब तक संसद युवा मतदाताओं के मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन जरूर कर रही होगी। इस तरह यह निरनय सांसदों को बदलाव पर विचार करने के लिए मजबूर करती है।
न्यूजीलैंड में चुनावी कानून में बदलाव के लिए संसद में 75% समर्थन की आवश्यकता होती है, इसलिए बदलाव के लिए कानून बनने के लिए लेबर और विपक्षी नेशनल पार्टी, दोनों के समर्थन की आवश्यकता होगी।
वैसे देश जहां 16 वर्ष की आयु के लोग मतदान कर सकते हैं
बता दें कि विश्व के केवल कुछ ही देश 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को मतदान करने की अनुमति देते हैं। इनमें ब्राजील, क्यूबा, ऑस्ट्रिया और माल्टा शामिल हैं जहाँ मतदान की आयु 16 वर्ष और उससे अधिक है।
स्कॉटलैंड में 16 साल के बच्चे स्कॉटिश संसदीय चुनावों में मतदान कर सकते हैं, लेकिन ब्रिटेन के आम चुनावों में नहीं।