मिशन दिव्यास्त्र: MIRV तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 का पहला सफल परीक्षण
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 11 मार्च को मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 (Agni-5) मिसाइल का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया।
मिशन दिव्यास्त्र (Mission Divyastra) नाम का यह उड़ान परीक्षण ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया।
MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल) तकनीक के तहत एक ही मिसाइल डिलीवरी सिस्टम पर कई वारहेड्स को लोड किया जा सकता है और अलग-अलग टार्गेट्स को हिट किया जा सकता है। इससे मिसाइल की विनाशकारी क्षमता काफी बढ़ जाती है।
MIRV क्षमता का विकास भारत की मिसाइल सिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण अपग्रेडेशन है और इसके परमाणु विकल्पों का विस्तार करता है।
पारंपरिक मिसाइलें एक ही वारहेड या हथियार ले जाती हैं, जो तय टारगेट पर जाकर हमला करती है।
MIRV से युक्त मिसाइलें कई हथियार रख सकती हैं, जिनमें से प्रत्येक को एक अलग लक्ष्य पर हमला करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। उन सभी को एक के बाद एक, एक ही स्थान पर हमला करने के लिए भी बनाया जा सकता है, इस प्रकार टारगेट का पूर्ण विनाश सुनिश्चित किया जा सकता है।
इसे 1960 के दशक में विकसित किया गया था और पहली बार 1970 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा तैनात किया गया था। फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन के पास भी यह तकनीक है।